संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को लताड़ा, 1971 से जारी महिलाओं पर यौन हिंसा का दिलाया हवाला

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-08-2025
India lashed out at Pakistan in the United Nations, citing sexual violence against women that has been continuing since 1971
India lashed out at Pakistan in the United Nations, citing sexual violence against women that has been continuing since 1971

 

न्यूयॉर्क 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के कार्यवाहक राजदूत एलडोस मैथ्यू पुन्नूस ने मंगलवार (स्थानीय समय) को पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा कि 1971 से लेकर आज तक पाकिस्तानी सेना और तंत्र द्वारा महिलाओं पर की जा रही यौन हिंसा शर्मनाक और घृणित अपराध है।

वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की "सशस्त्र संघर्षों से जुड़ी यौन हिंसा" पर खुली बहस में भारत का पक्ष रख रहे थे।

"1971 में पूर्वी पाकिस्तान की महिलाओं पर हुए अत्याचार आज भी जारी"

पुन्नूस ने कहा,"1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की लाखों महिलाओं पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए घृणित यौन अपराध शर्मनाक इतिहास का हिस्सा हैं। यह अमानवीय प्रवृत्ति आज भी अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं और लड़कियों के साथ जारी है।"

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में अपहरण, मानव-तस्करी, नाबालिगों की जबरन शादी, घरेलू दासता, यौन हिंसा और धार्मिक अल्पसंख्यकों का जबरन धर्मांतरण लगातार रिपोर्ट किया जा रहा है।

"न्यायपालिका भी देती है समर्थन"

भारत के प्रतिनिधि ने कहा,"दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका भी इन अपराधों को मान्यता देती है। और वही देश न्याय के ठेकेदार बनने की कोशिश कर रहा है। यह उसकी दोहरी नीति और पाखंड को उजागर करता है।"

"दोषियों को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए"

उन्होंने कहा कि ऐसे अपराध न सिर्फ पीड़ितों बल्कि पूरे समाज पर गहरे ज़ख्म छोड़ते हैं।"संघर्ष क्षेत्रों में यौन हिंसा करने वालों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। यह अपराध पीढ़ियों तक समुदायों को तोड़ देते हैं।"

"पीड़ितों को सहायता और न्याय ज़रूरी"

पुन्नूस ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति ज़रूरी है—

  • अपराधियों पर मुकदमा चलाना और सज़ा देना

  • पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना

  • राहत, पुनर्वास और कानूनी सहायता उपलब्ध कराना

उन्होंने याद दिलाया कि यूएनएससी प्रस्ताव 2467 (2019) ने पीड़ितों को स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षित आश्रय, कानूनी मदद और पुनर्वास जैसे अधिकारों पर ज़ोर दिया है।

"भारत सबसे पहले आगे आया"

भारत ने हमेशा इस दिशा में पहल की है।

  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ट्रस्ट फंड में योगदान देने वाले पहले देशों में भारत शामिल रहा।

  • 2017 में भारत और संयुक्त राष्ट्र के बीच यौन शोषण और दुर्व्यवहार खत्म करने पर समझौता हुआ।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में यौन शोषण रोकने के लिए नेतृत्व समूह में शामिल होकर गंभीरता दिखाई।

"महिला पुलिस इकाइयाँ और प्रशिक्षण"

भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार पूरी महिला पुलिस इकाई तैनात की।आज भारतीय महिला दस्ते मोनुस्को, यूनिसेफ और यूएनएमएएस जैसे अभियानों में सक्रिय हैं।दिल्ली स्थित सेंटर फॉर यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग में महिलाओं की भागीदारी और यौन हिंसा रोकथाम पर विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

"भारत का घरेलू मॉडल भी मिसाल"

पुन्नूस ने कहा कि भारत ने घरेलू स्तर पर भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए हैं—

  • निर्भया फंड (1.2 अरब डॉलर से अधिक) महिला सुरक्षा के लिए समर्पित है।

  • आपातकालीन नंबर 112 पूरे भारत में महिलाओं के लिए हेल्पलाइन के रूप में काम कर रहा है।

  • ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’ हर ज़िले में स्थापित किए गए हैं जहाँ पुलिस, मेडिकल, कानूनी और आश्रय संबंधी मदद एक जगह उपलब्ध होती है।

  • फास्ट-ट्रैक कोर्ट और प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने महिलाओं से जुड़े मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित किया है।

"भारत प्रतिबद्ध है"

अंत में पुन्नूस ने कहा,"भारत सशस्त्र संघर्षों में यौन हिंसा को जड़ से खत्म करने और पीड़ितों को हर संभव सहायता देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।"