नई दिल्ली
भारत और इज़राइल ने मंगलवार को आतंकवाद के ख़िलाफ़ वैश्विक स्तर पर ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया और साथ ही व्यापार, बुनियादी ढांचे तथा कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा की।
इस बैठक के दौरान भारत ने यह उम्मीद जताई कि अमेरिका की मध्यस्थता से तैयार गाज़ा शांति योजना क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता स्थापित करने में मददगार साबित होगी।
बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इज़राइल के विदेश मंत्री गिदोन सार शामिल हुए। दोनों नेताओं ने आने वाले महीनों में इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा की संभावना पर भी चर्चा की।
इस बातचीत में भारत–पश्चिम एशिया–यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) पर भी विचार हुआ, जो क्षेत्रीय संपर्क और व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने की दिशा में एक अहम परियोजना मानी जा रही है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “भारत और इज़राइल दोनों लंबे समय से आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहे हैं। कठिन समय में हमने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है और हमारे रिश्ते आपसी विश्वास और साझा मूल्यों पर आधारित हैं।”
इज़राइली विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा कि उनका देश इस समय गाज़ा में हमास, लेबनान में हिज़बुल्ला और यमन में हूती विद्रोहियों जैसे “कट्टर आतंकवादी संगठनों” से लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने कहा, “हमास के आतंकवादी शासन का अंत करना अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना का एक अहम हिस्सा है और हम अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटेंगे।”
जयशंकर ने कहा कि भारत गाज़ा शांति योजना की प्रगति पर निकटता से नज़र रखे हुए है। उन्होंने कहा, “हम बंधकों की रिहाई और उन लोगों के अवशेषों की वापसी का स्वागत करते हैं, जिन्होंने दुर्भाग्यवश अपनी जान गंवा दी। भारत को उम्मीद है कि यह योजना स्थायी शांति समाधान की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होगी।”