हिंदू बहनों ने पिता की ख्वाहिश पूरी करने के लिए ईदगाह को दान कर दी करोड़ों की जमीन

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-05-2022
हिंदू बहनों ने पिता की ख्वाहिश पूरी की, करोड़ों की जमीन ईदगाह को दान दे दी
हिंदू बहनों ने पिता की ख्वाहिश पूरी की, करोड़ों की जमीन ईदगाह को दान दे दी

 

आवाज द वाॅयस /देहरादून

कुछ दिन पहले दक्षिण भारत से एक मुस्लिम ट्रांस्पोर्टर द्वारा हनुमान मंदिर के लिए करोड़ो रूपये की जमीन दान देने की सुखद खबर आई थी. अब दो हिंदू बहनों बासठ साल की अनीता और उनकी बहन सरोज (57) ने ईदगाह के लिए जमीन दान कर हजारों मुसलमानों का दिल जीत लिया है. यह मामला उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के एक छोटे से कस्बे काशीपुर का है.

उन्होंने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की. उनकी मृत्यु लगभग 20साल पहले हुई थी. ईद से कुछ दिन पहले, उन्होंने ईदगाह के लिए 1.2 करोड़ रुपये से अधिक की 2.1 एकड़ जमीन दान कर अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की.

उनके इस कदम से मुसलमानों में खुशी की ऐसी लहर है कि ईद की नमाज के जमाने में इस परिवार का खास जिक्र किया गया. उनके लिए नमाज अदा की गई. कई सोशल मीडिया उत्साही लोगों ने दोनों बहनों की तस्वीर व्हाट्सएप प्रोफाइल पिक्चर के रूप में पोस्ट किया.

लाला बृजनंदन रस्तोगी, जिनकी 2003 में लगभग 80 वर्ष की आयु में मृत्यु हुई, एक किसान थे. काशीपुर में कुछ एकड़ जमीन के मालिक थे, जिसका एक हिस्सा उनकी मृत्यु के बाद उनकी दोनों बेटियों अनीता और सरोज को दे दिया गया.

कुछ साल बाद घर पर कुछ रिश्तेदारों से बात करते हुए बहनों को पता चला कि लाला ईद के लिए अपने ‘मुस्लिम भाइयों‘ को जमीन का एक टुकड़ा देना चाहते थे, लेकिन उन्हें अपने बच्चों के सामने अपनी इच्छा व्यक्त नहीं कर पाए.

हाल में मेरठ में अपने परिवार के साथ रहने वाली सरोज और बच्चों के साथ दिल्ली में रहने वाली अनीता अपने संबंधियों से बात कर रविवार को काशीपुर आ गईं.उन्होंने अपने भाई राकेश की मदद से जमीन के हस्तांतरण की औपचारिकताएं पूरी की. काशीपुर निवासी राकेश ने कहा, ‘‘मेरे पिता सांप्रदायिक सद्भाव में दृढ़ विश्वास रखते थे.

वह ईदगाह के लिए जमीन दान करना चाहते थे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ईद जैसे त्योहारों पर नमाज अदा करने को जगह मिल सके.

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मेरी बहनों ने पिता की इच्छाओं का सम्मान किया

इस घटना से स्थानीय मुसलमानों में खुशी की लहर है.ईदगाह समिति के अध्यक्ष हुसैन खान ने दिवंगत लाला को ‘बड़े दिल का आदमी‘ बताया’ कहा, ‘‘जब वह जीवित थे, सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर समिति हमेशा उनसे मिलने जाती थी.

पहला दान उनसे ही लिया गया था. उन्होंने न केवल हमेशा पैसे दिए बल्कि मुसलमानों के बीच उदारतापूर्वक फल और मिठाई भी बांटी. उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे ने लाला का अनुसरण किया. अब वह इस तरह के उत्सव के लिए दान करते हैं. ‘‘

उन्होंने आगे कहा, ‘‘लाला और मेरे पिता मोहम्मद रजा खान करीब 50 साल तक करीबी दोस्त रहे. दोनों नहीं रहे, लेकिन भाईचारे में उनके विश्वास ने हमें बहुत कुछ सिखाया है.‘‘ यह क्षेत्र वास्तव में शांति का नखलिस्तान है. विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे के बारे में बात करते हुए, खान ने कहा कि ईदगाह, गुरुद्वारा और हनुमान मंदिर से सटा हुआ है, लेकिन सांप्रदायिक तनाव की कोई घटना कभी नहीं हुई.

आज (मंगलवार) हनुमान मंदिर के पुजारी ने मुझसे ईद की नमाज के समय के बारे में पूछा. जब मैंने उसे बताया कि सुबह 9 बजे, तो उन्होंने कहा कि वह पूजा के दौरान मंदिर के लाउडस्पीकर को बंद कर देगा.

दोनों बहनों ने अपने दिवंगत पिता की इच्छा के अनुसार ईदगाह के विस्तार के लिए करीब चार बीघा जमीन दान में दी है. दोनों विवाहित बहनों के परिवार काशीपुर पहुंचे और जमीन का कब्जा ईदगाह कमेटी को सौंप दिया. कमेटी ने नींव खोदकर बाउंड्री का काम शुरू कर दिया है.

इन दिनों देश के तमाम हिस्सों में जहां धार्मिक कट्टरता की खबरें लोगों की शांति छीन रही हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग आमने-सामने हैं, वहीं दो हिंदू बहनों ने ईद से ठीक पहले अपने मुस्लिम भाइयों को तोहफे देकर समाज के लिए मिसाल कायम की है.

लाला बिरजानंदन प्रसाद रस्तोगी के परिवार के पास काशीपुर में ईदगाह मैदान के पास कृषि भूमि है. ईदगाह नंबर 827 (1) व (2) की सीमा से लगी इस जमीन पर करीब चार बीघा एकड़ जमीन है. इस हिस्से को जोड़ने पर ईदगाह का आकार आयताकार हो गया है. बिरजानंदन ईदगाह के लिए जमीन दान करने के लिए तैयार थे, लेकिन जमीन उनकी दो बेटियों सरोज रस्तोगी और अनीता रस्तोगी के नाम पर थी.

सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में पुश अग्रवाल, राकेश रस्तोगी, ईदगाह अध्यक्ष हुसैन खान, लेखपाल को बुलाकर जमीन की नाप-जोख कर ईदगाह से लगी जमीन का कब्जा कमेटी को सौंप दिया गया. दोनों बहनों के परिवारों ने कहा कि वे दिवंगत बृजनंदन  रस्तोगी की इच्छाओं का सम्मान करते हैं.

ईदगाह कमेटी के अध्यक्ष हुसैन खान ने कहा कि काशीपुर शहर राष्ट्रीय एकता की मिसाल है. हर त्योहार को एक साथ मनाने की परंपरा है. हमारी बहनों सरोज रस्तोगी और अनीता रस्तोगी ने ईदगाह के विस्तार के लिए चार बीघा जमीन दी है, जो ईदगाह की सीमा से लेकर पश्चिम तक सड़क तक फैली हुई है.

मैं पूरे समुदाय की ओर से उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं और उम्मीद करता हूं कि सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के सुख-दुख बांटते रहेंगे.