हिमंत ने संविधान से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की हिमायत की

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 28-06-2025
Himanta advocates removal of words 'socialist' and 'secular' from the Constitution
Himanta advocates removal of words 'socialist' and 'secular' from the Constitution

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को दावा किया कि ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ पश्चिमी अवधारणाएं हैं तथा इन शब्दों को संविधान से हटा दिया जाना चाहिए.
 
उन्होंने कहा कि इन शब्दों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया था और इनका भारतीय सभ्यता में कोई स्थान नहीं है. शर्मा ने कहा, ‘‘मैं पंथनिरपेक्ष कैसे हो सकता हूं? मैं कट्टर हिंदू हूं. मुसलमान व्यक्ति कट्टर मुसलमान होता है. वह पंथनिरपेक्ष कैसे हो सकता है?’’ मुख्यमंत्री असम में ‘द इमरजेंसी डायरीज: इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ नामक पुस्तक के विमोचन के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. यह पुस्तक (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी (जो उस समय आरएसएस के युवा प्रचारक थे) के साथ काम करने वाले सहयोगियों के अनुभवों और अन्य अभिलेखीय सामग्रियों पर आधारित है.
 
पुस्तक 1975-77 के दौरान आपातकाल और इसके ‘प्रतिरोध आंदोलन’ में मोदी की भूमिका का वर्णन करती है. शर्मा ने कहा कि पंथनिरपेक्षता की भारतीय अवधारणा तटस्थ होने के बारे में नहीं है, बल्कि यह 'सकारात्मक रूप से संबद्ध’ होने के बारे में है. उन्होंने कहा कि ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द उन लोगों द्वारा शामिल किया गया था जो इसे पश्चिमी दृष्टिकोण से देखते हैं, इसलिए इसे प्रस्तावना से हटा दिया जाना चाहिए.
 
मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि समाजवाद की पश्चिमी अवधारणा भी गांधी द्वारा थोपी गई थी जबकि भारतीय आर्थिक सिद्धांत ‘न्यास तत्व’ और हाशिए पर पड़े लोगों की मदद करने पर आधारित था. उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को तो समाजवाद की इस अवधारणा को खत्म करने की भी जरूरत नहीं पड़ी। पी वी नरसिम्ह राव और मनमोहन सिंह ने कांग्रेस के लिए यह काम किया.’’
 
वह तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्ह राव और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें 1990 के दशक की शुरुआत में भारत में आर्थिक उदारीकरण लाने का श्रेय दिया जाता है. शर्मा ने कहा कि आपातकाल से देश को हुए 'नुकसान' पर चर्चा करने का समय आ गया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें आपातकाल को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि हम आपातकाल को दोहरा नहीं सकते.