अहमदाबाद
गुजरात पुलिस आगामी 27 जून को अहमदाबाद में निकलने वाली भव्य रथ यात्रा के दौरान भगदड़ जैसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित निगरानी प्रणाली और ड्रोन की मदद लेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।
यह निर्णय उस पृष्ठभूमि में लिया गया है जब बड़ी धार्मिक या सार्वजनिक सभाओं में भीड़ प्रबंधन की विफलताओं के कारण हाल के दिनों में कई हादसे हुए हैं। हाल ही में बेंगलुरु में आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 घायल हुए थे।
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के सहायक पुलिस आयुक्त भरत पटेल ने कहा, “कुछ राज्यों में हुई भगदड़ की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार रथ यात्रा में भीड़ पर निगरानी रखने और उसे नियंत्रित करने के लिए एआई-सक्षम सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का फैसला किया है, जो लाइव वीडियो डेटा को रियल टाइम में प्रोसेस कर सकेगा।”
पुलिस के अनुसार, इस वर्ष की रथ यात्रा में 14 से 15 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
यह एआई आधारित सिस्टम पुलिस कंट्रोल रूम में लगे विजुअल एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर के जरिए काम करेगा, जो यात्रा मार्ग पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से सीधे लाइव वीडियो फीड प्राप्त करेगा। सॉफ्टवेयर भीड़ की गणना करेगा, स्थल की अधिकतम क्षमता का आकलन करेगा और यह अनुमान लगाएगा कि निकट भविष्य में कितने और लोग वहां पहुंच सकते हैं।
पटेल ने बताया, “सिस्टम जैसे ही किसी स्थल पर भीड़ अधिक होने की आशंका जताएगा, यह तुरंत ग्राउंड पर तैनात पुलिसकर्मियों को सतर्क कर देगा ताकि वे अविलंब कदम उठा सकें, जैसे कि अतिरिक्त लोगों को उस स्थान पर पहुंचने से रोकने के लिए बैरिकेडिंग करना या भीड़ को पास के खाली क्षेत्रों की ओर मोड़ना।”
इसके अलावा यह सिस्टम आसपास के खाली स्थानों की जानकारी भी साझा करेगा ताकि पुलिस लोगों को सुरक्षित रूप से वहां स्थानांतरित कर सके और भगदड़ की नौबत न आए।
पटेल ने कहा, “यह प्रणाली हमें समय पर प्रतिक्रिया देने, ज़रूरत के अनुसार पुलिस बल की तैनाती करने और ट्रैफिक को मोड़ने में भी मदद करेगी।”
फिलहाल इस प्रणाली का परीक्षण पहले से लगे कैमरों की वीडियो फीड के माध्यम से किया जा रहा है।
रथ यात्रा 27 जून की सुबह लगभग 7 बजे 400 साल पुराने श्री जगन्नाथ मंदिर (जमालपुर क्षेत्र) से शुरू होगी। यह 16 किलोमीटर लंबे मार्ग से होकर गुजरेगी, जिसमें कई सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं, और रात 8 बजे तक वापस मंदिर लौटेगी।
इस यात्रा में पारंपरिक रूप से 18 सजे हुए हाथी, 100 ट्रक और 30 अखाड़े शामिल होते हैं। लाखों श्रद्धालु मार्ग के दोनों ओर खड़े होकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।