राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-मीरगंज
देश में एक ओर सामाजिक तानेबाने को बिगाड़ने के लिए विदेशी सहयोग और पैसे के दम पर कोशिशें हो रही हैं. लेकिन भारतीयों के बीच सदियों के सहअस्तित्व से पनपा सामाजिक सौहार्द लगाकर ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. सामाजिक सद्भाव की एक ऐसी ही मिसाल उत्तर प्रदेश के एक गांव से आई है.
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मीरगंज में ठिरिया बुजुर्ग नामक गांव हैं, जहां एक मात्र मुस्लिम परिवार रहता है. परिवार के मुखिया भूरे खां मेहनत-मजदूरी करते हैं और गांव में एक झोपड़ीनुमा मकान में उनका पूरा परिवार रहता है. उनकी कमाई से ही घर का खर्चा-पानी चलता है. कुछ दिनों पहले अचानक उनकी तबियत खराब हो गई और हालत लगातार बिगड़ती गई. फिर उनके मुंह से खून आने लगा.
जब गांव वालों को पता चला, तो उन्होंने स्थानीय डॉक्टरों से इलाज करवाया. लेकिन भूरे खां को आराम नहीं मिला. तबियत में सुधार न होते देख गांव वालों में बाहर ले जाकर इलाज करवाने का सामूहिक फैसला किया.
गांव वालों ने आपस में चंदा एकत्रित किया और उन्हें इलाज के एक बरेली के एक अस्पताल में भर्ती करवाया. डॉक्टरों ने हालत देखकर बताया कि भूरे खां को खून चढ़ाना पड़ेगा. तब गांव के ही चौधरी अतेंद्र सिंह आगे आए और उन्होंने अपना खून दिया, जिससे भूरे खां की तबियत में तत्कालिक राहत महसूस की गई.
इसके बाद अतेंद्र सिंह, राहुल शर्मा, रोहित शर्मा मनोज शर्मा आदि उत्साही युवाओं ने गांव वालों से बात करके भूरे खां के इलाज के लिए 25 हजार रुपए एकत्रित किए और पैसे को अस्पताल में जमा भी करवा दिया गया है.
गांव के इस मानवीय पहलकदमी से भूरे खां के परिवार ने बड़ी राहत महसूस की है. अतेंद्र सिंह का कहना है कि भूरे खां हमारे गांव के ही सम्मानित सदस्य हैं. इसलिए सभी गांव वालों ने दुख की इस घड़ी में उनका साथ देने का निर्णय किया है.