आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में 0.25 प्रतिशत की कटौती का समर्थन करते हुए कहा था कि मौद्रिक नीति का तटस्थ रुख केंद्रीय बैंक को बदलते वृहद-आर्थिक हालात के अनुरूप निर्णय लेने का लचीलापन देगा।
मल्होत्रा ने यह टिप्पणी एमपीसी की तीन-पांच दिसंबर को हुई बैठक के दौरान की थी। आरबीआई ने 0.25 प्रतिशत दर कटौती का फैसला करने वाली इस बैठक का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया।
इस ब्योरे के मुताबिक, मल्होत्रा ने कहा, “मैं 0.25 प्रतिशत दर कटौती के पक्ष में मतदान करता हूं। यह मांग को बढ़ावा देगा और वृद्धि का समर्थन करेगा। तटस्थ रुख बनाए रखने से डेटा-संचालित नीति के लिए जरूरी लचीलापन मिलेगा।”
उन्होंने अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में मुख्य मुद्रास्फीति के लगभग चार प्रतिशत रहने का अनुमान भी जताया। उन्होंने कहा कि बहुमूल्य धातुओं को छोड़कर मुद्रास्फीति के और भी कम रहने की संभावना है।
एमपीसी बैठक में डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति में अपेक्षा से तेज गिरावट मौद्रिक नीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान दर कटौती और इस साल कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती से आर्थिक गतिविधियों में अस्थिर रूप से तेज वृद्धि (ओवरहीटिंग) के कोई संकेत नहीं हैं।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक इंद्रनील भट्टाचार्य ने बैठक में खुदरा मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत पर आ जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि सितंबर-अक्टूबर में मुद्रास्फीति में लगभग 1.80 प्रतिशत की कमी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दामों में गिरावट का नतीजा है।