आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली
कोरोना वायरस की तीसरी लहर के डर से एक और त्यौहार सावधानी और मौन के साथ मनाया गया. भारत में, ईद-उल-अजहा को विभिन्न प्रतिबंधों और नियमों के साथ शांत वातावरण में मनाया गया.
दिल्ली में शाही जामा मस्जिद और फतेह पुरी मस्जिद में पांच लोगों का जमावड़ा हुआ और पारंपरिक वैभव गायब था. अन्य महत्वपूर्ण मस्जिदों में बहुत कम लोग नजर आए. शाही जामा मस्जिद में जहां केवल 20-15 लोग ही थे, वहीं कुछ मस्जिदों में 5 से 6 उपासक ही बनते थे.
दिल्ली की शाही जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने इस मौके पर कहा कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सख्त पाबंदियां हैं और इसे देखते हुए कम संख्या में लोग हैं.
ईद-उल-अजहा की नमाज के दौरान सामने आई जामिया मस्जिद की तस्वीरें बताती हैं कि पूरा परिसर खाली है. चित्र में एक भी पंक्ति पूर्ण नहीं दिखती
दिल्ली पुलिस ने आचार संहिता के मद्देनजर कई जगहों पर सुरक्षा कड़ी कर दी थी, ताकि लोगों की भीड़ न लगे. कई राज्यों में, सख्त तालाबंदी के कारण, मस्जिदों और पूजा स्थलों में आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया था और बहुत सीमित संख्या में लोगों की जमात में नमाज अदा की जा सकती थी. अधिकांश राज्यों में मस्जिदें और पूजा स्थल खाली थे.
पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे कुछ राज्यों में बड़ी पार्टियों को देखा जाना चाहिए, लेकिन हर जगह कोविड नियमों का पालन किया गया.
देश के कुछ अहम राज्यों में भी पाबंदियों के साथ ईद की नमाज अदा की गई.