नई दिल्ली,
केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए चार नई श्रम संहिताओं के लिए मसौदा नियम जारी कर दिए हैं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बुधवार को इन नियमों को सार्वजनिक करते हुए आम लोगों, श्रमिक संगठनों, उद्योग जगत और अन्य हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। इन नियमों के लागू होने के बाद ही नए श्रम कानून पूरी तरह प्रभावी हो सकेंगे।
जिन चार श्रम संहिताओं के लिए मसौदा नियम जारी किए गए हैं, उनमें वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियां संहिता 2020 शामिल हैं। इन चारों कानूनों की अधिसूचना पहले ही 21 नवंबर को जारी की जा चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि ये सभी श्रम संहिताएं 1 अप्रैल 2026 से पूरे देश में एक साथ लागू हो जाएं।
चूंकि श्रम विषय संविधान की समवर्ती सूची में आता है, इसलिए इन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्यों द्वारा भी अपने-अपने नियम बनाए जाना आवश्यक है। इसी कारण राज्य सरकारें भी इन मसौदा नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में हैं।
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक संबंध संहिता पर सुझाव देने के लिए 30 दिन और बाकी तीन संहिताओं पर 45 दिन का समय निर्धारित किया है। सरकार का मानना है कि इससे उद्योग जगत और अन्य पक्षों को नियमों को बेहतर ढंग से समझने और व्यावहारिक रूप से लागू करने में मदद मिलेगी।
मसौदा नियमों के लागू होने के बाद श्रमिकों के हित में कई महत्वपूर्ण प्रावधान सुनिश्चित किए जाएंगे। इनमें सभी श्रमिकों को अनिवार्य नियुक्ति पत्र, 40 वर्ष और उससे अधिक आयु के श्रमिकों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच, समान कार्य के लिए समान वेतन और महिलाओं को विभिन्न पालियों में काम करने के समान अवसर शामिल हैं।
सरकार का उद्देश्य इन चारों श्रम संहिताओं के जरिए श्रम संरक्षण का दायरा बढ़ाना, व्यापार करना आसान बनाना और श्रमिक-केंद्रित कार्य वातावरण को प्रोत्साहित करना है।भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मसौदा नियमों का प्रकाशन श्रम सुधारों के क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उद्योग और श्रमिक—दोनों को लाभ होगा।
वहीं, केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने पहले कहा था कि सरकार मार्च 2026 तक 100 करोड़ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने का लक्ष्य रखती है। उन्होंने बताया कि सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64 प्रतिशत से अधिक हो चुका है।