दिल्ली दंगाः खजूरी खास मामले में उमर खालिद, खालिद सैफी बरी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 03-12-2022
दिल्ली दंगाः खजूरी खास मामले में उमर खालिद, खालिद सैफी बरी
दिल्ली दंगाः खजूरी खास मामले में उमर खालिद, खालिद सैफी बरी

 

नई दिल्ली. छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य खालिद सैफी को शनिवार को 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में बरी कर दिया गया. दिल्ली की एक अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने खजूरी खास प्राथमिकी से दोनों को आरोप मुक्त करने का आदेश सुनाया.

दोनों को दिल्ली के चांदबाग में पथराव के एक मामले में जमानत दे दी गई है, लेकिन उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत एक प्राथमिकी से संबंधित जेल में रहेंगे, जो उन पर दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश रचने का आरोप लगाते हैं.

प्राथमिकी आईपीसी की धारा 109, 114, 147, 148, 149, 153-ए, 186, 212, 353, 395, 427, 435, 436, 452, 454, 505, 34 और 120-बी, सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम के नुकसान की रोकथाम के 3 और 4 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 27 के तहत दर्ज की गई थी.

आरोप एक कांस्टेबल की घोषणा के आधार पर दायर किया गया था कि, 24 फरवरी, 2020 को चांद बाग पुलिया के बाहर एक बड़ी भीड़ जमा हो गई थी और पथराव शुरू कर दिया था.

भीड़ ने कथित तौर पर पार्किंग के शटर को गिरा दिया, किसी को भी पीटा और कारों में आग लगा दी, जबकि पुलिस अधिकारी खुद को बचाने के लिए बगल की पार्किंग में भाग गया. 28 फरवरी, 2020 को मामला बाद में अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया.

हालांकि उमर खालिद भीड़ का हिस्सा नहीं था, लेकिन उस पर और खालिद सैफी पर मामले में आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया था. अभियोजन पक्ष का दावा है कि कथित दंगाइयों ने ताहिर हुसैन की इमारत का इस्तेमाल ‘ईंटें मारने, पथराव करने, पेट्रोल बम फेंकने और एसिड बम फेंकने’ के लिए किया था. सामग्री की खोज का दावा इमारत की तीसरी मंजिल और छत पर भी किया गया था.

खालिद को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ अधूरी सामग्री के आधार पर खालिद को सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है. यह नोट किया गया कि ष्केवल इस तथ्य के कारण उन्हें अनंत काल तक जेल में कैद नहीं रखा जा सकता है कि अन्य व्यक्तियों को जो दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, उनकी पहचान की जानी चाहिए और मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिएष् क्योंकि जांच पूरी हो चुकी थी और चार्जशीट दायर की गई थी.