दिल्लीः दंगों के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-03-2022
उमर खालिद
उमर खालिद

 

नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा बड़े साजिश मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता खालिद को 13 सितंबर 2020 को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था. कड़कड़डूमा कोर्ट ने 3 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

आदेश 14 मार्च को सुनाया जाना था, लेकिन खालिद के वकील द्वारा लिखित दलीलें न दायर करने के कारण इसे टाल दिया गया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने गुरुवार को जमानत याचिका खारिज कर दी.

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने कहा था कि साजिश के मामले में आरोपी के स्वस्थ आचरण को देखना होगा. कई चैट और अन्य सबूत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है.

उन्होंने अमरावती में उमर खालिद के भाषण पर अदालत द्वारा पूछे गए विशिष्ट प्रश्न पर प्रस्तुत किया था कि 11 फरवरी, 2020 को महाराष्ट्र पुलिस द्वारा कार्यक्रम की अनुमति को अस्वीकार कर दिया गया था. 12 फरवरी को, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के एक पदाधिकारी द्वारा उमर खालिद को छोड़कर छह गणमान्य व्यक्तियों का उल्लेख करते हुए एक और आवेदन दायर किया गया था.

आरोपी के पिता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. छह लोगों को ही अनुमति दी गई थी, इसके बावजूद उमर खालिद ने वहां जाकर 17 फरवरी को भाषण दिया.

एसपीपी ने तर्क दिया कि इस संबंध में आदेश का पालन नहीं करने पर प्राथमिकी दर्ज की गई.

आरोपी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने यह कहते हुए खंडन किया कि उक्त आदेश और प्राथमिकी अवैध थी, क्योंकि भाषण के अधिकार पर प्रतिबंध नहीं हो सकता. महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है.

उन्होंने तर्क दिया कि अमरावती मामले में दर्ज उक्त प्राथमिकी के आरोपी के रूप में उमर खालिद का नाम नहीं लिया गया था. भाषण के बाद कुछ नहीं हुआ. अभियोजन इसे आतंक का कृत्य नहीं कह सकता, क्योंकि उसने वहां भाषण दिया था. ‘अभियोजन यूएपीए के अभियोजन का मजाक बना रहा है.’

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जेएनयू मामले 2016 में दायर आरोपपत्र में खालिद को ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ टिप्पणी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था, लेकिन इस बार अभियोजन पक्ष ने टिप्पणी के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है.

यह मामला पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों की उस बड़ी साजिश से जुड़ा है, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे.

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा समेत अन्य लोगों के खिलाफ साजिश का बड़ा मामला दर्ज किया था.