Delhi High Court will hear SG Tushar Mehta's arguments against the bail pleas of Umar Khalid, Sharjeel Imam on July 9
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करते हुए अब 9 जुलाई की तारीख तय की है. ये सभी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी ‘लार्जर कॉन्सपिरेसी’ (बड़ी साजिश) केस में आरोपी हैं, जिसमें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है.
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर शामिल हैं, ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक (SPP) अमित प्रसाद के आग्रह पर सुनवाई स्थगित की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में शामिल हुए और उन्होंने आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करने की मंशा जाहिर की.
उमर खालिद और शरजील इमाम ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं. दोनों का तर्क है कि उन पर लगाए गए UAPA प्रावधानों के दायरे में उनका मामला नहीं आता और ट्रायल कोर्ट ने तथ्यों पर उचित गौर नहीं किया.
इस केस में कुल 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है, जबकि दो आरोपी अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस का दावा है कि ये सभी आरोपी, खासतौर से उमर खालिद और शरजील इमाम, फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने में शामिल थे। दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे.
पुलिस के मुताबिक, कथित साजिश का प्रमाण व्हाट्सएप चैट, भाषण और अन्य डिजिटल सबूतों में नज़र आता है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के विभिन्न थाना क्षेत्रों में इस मामले से जुड़ी 700 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं.
हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट इससे पहले पुलिस की जांच के तरीके पर सवाल उठा चुका है. अदालत ने यह भी पूछा था कि क्या सिर्फ विरोध प्रदर्शन आयोजित करना UAPA लगाने के लिए पर्याप्त आधार है? कोर्ट ने पुलिस से स्पष्ट और ठोस सबूत मांगे थे ताकि यह तय किया जा सके कि मामला वास्तव में "आतंकी गतिविधि" की श्रेणी में आता है या नहीं.
इससे पहले, इसी केस में देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तनहा को दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 जून 2021 को नियमित ज़मानत दी थी। वहीं, ट्रायल कोर्ट ने इशरत जहां को भी ज़मानत प्रदान की थी.
अब अदालत इस पूरे मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया के एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच चुकी है, जहां अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्कों पर विस्तार से विचार किया जा रहा है। 9 जुलाई को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली दलीलों पर सबकी निगाहें टिकी हैं, क्योंकि इससे तय होगा कि उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे प्रमुख आरोपियों को ज़मानत मिलेगी या नहीं.