Court makes harsh comments on violence during student protests; ousted Prime Minister Sheikh Hasina found guilty
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
बांग्लादेश में राजनीति एक बार फिर गहन हलचल के दौर से गुजर रही है। देश के विशेष न्यायाधिकरण ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले वर्ष हुए छात्र-नेतृत्व वाले व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों का दोषी ठहराते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। यह फैसला न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।
न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, अवैध गिरफ्तारियों और दमनकारी कार्रवाई के लिए तत्कालीन सरकार प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थी। अदालत के अनुसार, छात्र आंदोलनों को कुचलने के लिए सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल किया गया, जिसके कारण कई युवाओं की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। फैसले में यह भी उल्लेख किया गया कि विरोध में शामिल छात्रों और नागरिकों को अनुचित तरीके से निशाना बनाया गया, जिससे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ।
शेख हसीना, जो पिछले वर्ष हुए व्यापक प्रदर्शनों के बाद सत्ता से हटाई गई थीं, ने अदालत के फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध बताया। उनकी पार्टी अवामी लीग ने कहा कि यह निर्णय देश में “लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश” का हिस्सा है। हालांकि विपक्षी दलों, खासकर छात्र संगठनों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे “ऐतिहासिक न्याय” करार दिया।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मामले पर नजर बनाए रखी है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को लंबे समय तक प्रभावित करेगा और सत्ता परिवर्तन के बाद की स्थितियों को और अधिक जटिल बना सकता है।
फैसले के बाद देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। अदालत जल्द ही सजा के मापदंड पर अंतिम सुनवाई करेगी।