ज़हरीली खांसी की दवा से बच्चों की मौत: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए तैयार, CBI जांच की मांग

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 09-10-2025
Children die from toxic cough medicine: Supreme Court ready to hear plea, demands CBI probe
Children die from toxic cough medicine: Supreme Court ready to hear plea, demands CBI probe

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में ज़हरीली खांसी की दवा पीने से हुई बच्चों की मौतों के मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। अदालत ने इस याचिका को शुक्रवार, 10 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अधिवक्ता विशाल तिवारी ने इस मामले को तात्कालिक सुनवाई के लिए उठाया। उन्होंने अपनी याचिका में मांग की है कि बच्चों की मौत के मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जाए और इसकी निगरानी एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज द्वारा की जाए।
 
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति गठित करे, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज करें। यह समिति खांसी की दवाओं के निर्माण, परीक्षण, वितरण और निगरानी से जुड़े नियामकीय तंत्र की कमियों की जांच करे और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस सुझाव दे।
 
तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि जिन दवाओं में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे विषैले रसायन पाए गए हैं, उन्होंने पहले भी कई देशों में बच्चों की जान ली है। इस बार भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हुई, जिसे तमिलनाडु की एम/एस श्रीसन फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया गया था।
 
याचिका में तत्काल प्रभाव से इस कंपनी की सभी बैचों की दवाओं को बाज़ार से वापस लेने और उनके निर्माण-लाइसेंस को रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही, देशभर में सिरप-आधारित दवाओं का अनिवार्य परीक्षण कराने और उनके परिणाम सार्वजनिक करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
 
याचिका में यह भी कहा गया है कि विभिन्न राज्यों में चल रही जांचें बिखरी हुई हैं, जिससे जवाबदेही तय नहीं हो पा रही है। ऐसे में सभी एफआईआर और जांचें सीबीआई को सौंपी जाएं ताकि एक निष्पक्ष और समन्वित जांच हो सके।
 
सुप्रीम कोर्ट इस गंभीर जनहित याचिका पर कल सुनवाई करेगा, जिससे यह तय हो सकेगा कि बच्चों की मौतों की सच्चाई तक पहुंचने के लिए आगे का रास्ता क्या होगा।