नई दिल्ली
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के साथ मिलकर नोएडा से संचालित एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह टेक-सपोर्ट स्कैम के जरिए अमेरिकी नागरिकों से करीब 85 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 मिलियन डॉलर) की ठगी कर चुका था। इस संयुक्त कार्रवाई को ‘ऑपरेशन चक्र’ के तहत अंजाम दिया गया।
इस ऑपरेशन में छह प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही 1.88 करोड़ रुपये नकद, मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव सहित 34 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अपराध से जुड़े कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं। नोएडा में आरोपियों द्वारा चलाया जा रहा अवैध कॉल सेंटर भी बंद करा दिया गया है।
इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने इसे “यूएस-इंडिया पार्टनरशिप का बेहतरीन उदाहरण” बताया है।एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा पोस्ट में दूतावास ने कहा कि FBI के समन्वय से CBI ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क को ध्वस्त किया, जिसने अमेरिकी नागरिकों से 8.5 मिलियन डॉलर की ठगी की थी, और अपराधियों को गिरफ्तार कर अवैध धन भी बरामद किया गया।
CBI की ओर से 12 दिसंबर को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह कार्रवाई FBI से मिले ठोस इनपुट के आधार पर की गई। जांच में सामने आया कि यह साइबर-सक्षम वित्तीय अपराध नेटवर्क वर्ष 2022 से अमेरिकी नागरिकों को निशाना बना रहा था।
आरोपी खुद को अमेरिकी सरकारी एजेंसियों—जैसे ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA), FBI और सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (SSA)—का अधिकारी बताकर पीड़ितों को फोन करते थे। वे फर्जी पहचान के जरिए यह दावा करते थे कि पीड़ितों के सोशल सिक्योरिटी नंबर का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी में हुआ है।
गिरोह पीड़ितों को उनकी संपत्ति फ्रीज़ होने की धमकी देता था और डर के माहौल में उन्हें क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट और विदेशी बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करता था। इस तरह नेटवर्क ने कथित तौर पर करीब 8.5 मिलियन डॉलर की अवैध वसूली की।
CBI ने इस मामले में 9 दिसंबर 2025 को केस दर्ज कर जांच शुरू की और 10 व 11 दिसंबर को दिल्ली, नोएडा और कोलकाता में कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इन छापों के दौरान छह आरोपियों को रंगे हाथों अवैध कॉल सेंटर चलाते हुए गिरफ्तार किया गया।
CBI के अनुसार, अपराध से अर्जित धन को वर्चुअल एसेट्स और बैंक ट्रांसफर के जरिए इधर-उधर किया जा रहा था। एजेंसी ने बताया कि अतिरिक्त अपराध आय का पता लगाने और नेटवर्क से जुड़े अन्य सदस्यों व अंतरराष्ट्रीय कड़ियों की पहचान के लिए आगे की कार्रवाई जारी है।
यह संयुक्त अभियान भारत और अमेरिका के बीच साइबर अपराध के खिलाफ मजबूत सहयोग और समन्वय का एक अहम उदाहरण माना जा रहा है।