ब्रिटिश-भारतीय स्कूली छात्रा ने पीएम प्‍वॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार जीता

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-07-2023
ब्रिटिश-भारतीय स्कूली छात्रा ने पीएम प्‍वॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार जीता
ब्रिटिश-भारतीय स्कूली छात्रा ने पीएम प्‍वॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार जीता

 

लंदन.

भारतीय मूल की सात वर्षीय लड़की मोक्षा रॉय को तीन साल की उम्र से बच्चों के लिए धन जुटाने सहित कई अन्‍य पहलों के लिए स्वेच्छा से काम करने को ब्रिटिश प्रधान मंत्री प्‍वॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

पिछले सप्ताह ब्रिटिश उपप्रधान मंत्री ओलिवर डाउडेन से पुरस्कार प्राप्त करने वाली मोक्षा रॉय ने माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पहल के लिए स्वेच्छा से अपनी यात्रा शुरू की.

इस पहल का कैंटरबरी के आर्कबिशप और संयुक्त राष्ट्र टास्क फोर्स ने समर्थन किया. इससे मोक्ष को तीन साल की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की स्थिरता वकील होने का गौरव प्राप्त हुआ.

मोक्ष ने कहा, “मैं प्‍वॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार पाकर बहुत खुश हूं. मुझे उम्मीद है कि बच्चों और वयस्कों दोनों को यह समझ आ जाएगा कि ग्रह और इसके लोगों की देखभाल करना और रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे बदलाव करना सिर्फ कुछ लोगों के लिए नहीं होना चाहिए.

यह बिल्कुल हमारे दांतों को ब्रश करने जैसा है. हम अपने दांतों की देखभाल और दर्द से बचने के लिए ब्रश करते हैं, इसी तरह हम किसी और के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ अपने सुरक्षित रहने के लिए ग्रह की देखभाल कर सकते हैं."

मोक्ष यूके में अपने स्कूल के माध्यम से युवाओं को और रेडियो, प्रेस और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से दुनिया भर के हजारों बच्चों को स्थिरता के बारे में शिक्षित करना जारी रखे है. वह कई अन्‍य अभियानों के लिए स्वयंसेवा करती है.

दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है. उसने कहा, “जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, गरीबी और असमानता जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए हम में से प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन, कार्य और समुदाय में छोटे-छोटे काम कर सकता है.

सकारात्मक कार्य से ही हम एक सुरक्षित ग्रह और टिकाऊ भविष्य पा सकते हैं." अपने काम के माध्यम से मोक्ष एक अरब से अधिक बच्चों और उनके परिवारों को माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण और इसे रोकने के बारे में शिक्षित करने का प्रयास कर रही है, इसमें यूके के 24 हजार स्कूलों और कॉलेजों के बच्चे भी शामिल हैं.

डाउडेन ने कहा, "मोक्ष ने संयुक्त राष्ट्र एसडीजी के समर्थन से एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित किया है. उन्होंने इन्हें स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए काफी प्रयास किए हैं और दुनिया भर के नेताओं के साथ संवाद कर उन्हें इस पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया है.

वह दृढ़ता से महसूस करती हैं कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए शिक्षा और व्यक्तिगत कार्रवाई महत्वपूर्ण है और उनके जुनून को दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में काम करना चाहिए." मोक्ष ने भारत में वंचित स्कूली बच्चों के लिए शैक्षिक सत्रों में भी सहायता की है.

प्रधान मंत्री कार्यालय के अनुसार, प्‍वॉइंट ऑफ़ लाइट पुरस्कार उन स्वयंसेवकों को प्रदान किया जाता है जो अपने कार्यों से अपने समुदाय में बदलाव ला रहे हैं.