अयोध्या
अयोध्या नगर निगम में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर एक ऑडिट रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये के नुकसान का ज़िक्र किया गया है। इस खुलासे के बाद प्रदेश की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है।
क्या कहती है ऑडिट रिपोर्ट?
अयोध्या संभाग के स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग के उप निदेशक द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए तैयार की गई इस रिपोर्ट में नगर निगम के भीतर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की बात कही गई है।
रिपोर्ट में जिन मुख्य गड़बड़ियों की ओर इशारा किया गया है, उनमें शामिल हैं:
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राज्य अनुदानों का दुरुपयोग
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बजट आवंटन का अनुचित उपयोग
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विभिन्न विभागों में अनियमित भुगतान
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काली सूची में डाली गई कंपनी को भुगतान
अधिकारियों के अनुसार, यह रिपोर्ट शहरी विकास सचिव, महालेखाकार, और अयोध्या के संभागीय आयुक्त राजेश कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई है। संभागीय आयुक्त ने यह रिपोर्ट आगे नगर आयुक्त जयेंद्र कुमार को भेज दी है ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।
नगर निगम की प्रतिक्रिया
अयोध्या के महापौर गिरीशपति त्रिपाठी ने इन आरोपों को लेकर बयान देते हुए कहा कि,“नगर निगम इन सभी ऑडिट आपत्तियों का समय पर और बिंदुवार जवाब तैयार कर रहा है। यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी या लापरवाही पाई जाती है, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
विपक्ष का हमला, सत्तापक्ष का पलटवार
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री पवन पांडे ने इस मामले को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि,“ऑडिट में जिन संदिग्ध खर्चों का ज़िक्र किया गया है, वे जनवरी 2024 में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दौरान किए गए थे। यह एक सुनियोजित भ्रष्टाचार का मामला है।”
जवाब में महापौर त्रिपाठी ने इन आरोपों को "निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित" करार दिया। उन्होंने कहा कि,“सपा अयोध्या के विकास से नाखुश है और मेरी बेदाग छवि को खराब करने की कोशिश कर रही है।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि नगर निगम की कार्यप्रणाली पारदर्शी और उत्तरदायी है तथा सच्चाई जल्द सामने आ जाएगी।
ऑडिट रिपोर्ट ने अयोध्या के प्रशासनिक हलकों और राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। आगे की जांच और कार्रवाई से यह स्पष्ट होगा कि इन आरोपों में कितना दम है और वास्तव में राज्य सरकार को कितना नुकसान हुआ है।