जफर इकबाल / जयपुर
इस्लाम में पाकीजगी और सफाई की अहमियत बहुत ज्यादा है. हदीस में कई मौकों पर लोगों को अपने आस-पास सफाई रखने और खुद को जिस्मानी और रुहानी तौर पर पाक रखने का संदेश दिया गया है. यह कहना है अजमेर की रहने वाली आरिफा अली का. आरिफा का कहना है की हर धर्म में स्वच्छता को ही प्राथमिकता दी गयी है और उन्हें स्वच्छता के लिए काम करने की प्रेरणा अपने माता-पिता से विरासत में मिली है. आरिफा कहती हैं कि उन्होंने अपने माता-पिता को हमेशा स्वच्छता और समाज के लिए अच्छे कार्य करते देखा है.
कॉलेज शिक्षा में पर्यावरण विषय की पढाई के ही आरिफा अली पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काम कर रही है. ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और बालिकाओं में स्वच्छता की अलख जगाने का जूनून उनमे इतना है की इसे जीवन का मकसद बना लिया. आरिफा ग्रामीण इलाकों में लोगों को पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व बताने के साथ ही उन्हें पेड़ लगाने के लिए भी जागरूक कर रही हैं.
युवा नेतृत्व और नारी शक्ति के रूप में अजमेर की इस बेटी ने न केवल महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक किया, बल्कि पूरे गांव में घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर स्वच्छता के लिए शौचालय बनवाने और इनका उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया. उन्होंने लोगों को समझाया की खुले में शौच करने से हमारे पर्यावरण पर कितना बुरा असर पड़ता है और दूषित पर्यावरण सीधे तौर पर हमारे शरीर पर खराब असर डालता है.
अजमेर निवासी आरिफा अली वर्तमान में एमएससी एन्वॉयरनमेंट साइंस की स्टूडेंट हैं और एक एनजीओ के साथ मिलकर स्वछता और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही हैं.
आरिफा अली एनसीसी के बेस्ट कैडेट रह चुकी हैं. उन्हें उदयपुर विंग में आर्मी, नेवी व एयरफोर्स की बेस्ट कैडेट का खिताब भी मिल चुका है. पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहतरीन काम करने के लिए आरिफा को राज्य स्तरीय दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम में सम्मानित किया जा चुका है. इस से पहले उन्हें नेहरू युवा संगटन की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है.