अबू धाबी/टोक्यो
भारत ने पाकिस्तान से उपजे आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बृहस्पतिवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी साझा करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को जापान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भेजा। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य आत्मरक्षा के अधिकार पर भारत की स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत करना है।
जापान भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद संजय झा कर रहे हैं, जबकि यूएई के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने किया। अबू धाबी में शिंदे और उनके दल ने यूएई फेडरल नेशनल काउंसिल के सदस्य अहमद मीर खोरी से मुलाकात कर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के प्रति भारत के सख्त रुख और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता की जानकारी दी।
शिंदे ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर कहा, “हमने गर्व के साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' की भारत की निर्णायक सफलता साझा की और पाकिस्तान की धरती से उत्पन्न हो रहे आतंकवाद की गंभीरता को रेखांकित किया।”
इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के मनन कुमार मिश्रा, एसएस अहलूवालिया, अतुल गर्ग, बांसुरी स्वराज, बीजद के सस्मित पात्रा, आईयूएमएल के ई.टी. मोहम्मद बशीर, पूर्व राजनयिक सुजान आर. चिनॉय और यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर भी शामिल थे।
शिंदे ने कहा, “हम अंतरराष्ट्रीय शांति और वैश्विक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और भारत की यह प्रतिबद्धता स्पष्ट है।”
यूएई में भारतीय दूतावास ने इसे दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों का प्रतीक बताया।
जापान में भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि “सांसद संजय झा के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल टोक्यो पहुंचा। राजदूत सिबी जॉर्ज ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। सभी बैठकों में 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारत के सटीक और अडिग रुख को सामने रखा जाएगा।”
जापान प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृजलाल, प्रधान बरुआ, हेमांग जोशी, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी, माकपा के जॉन ब्रिटास और पूर्व राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं।
भारत ने पाकिस्तान की ओर से फैलाए जा रहे आतंकवाद को उजागर करने और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पारदर्शिता के साथ जानकारी देने के लिए 33 देशों की राजधानियों में कुल सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में तीव्र तनाव उत्पन्न हो गया।
भारत ने हमले के बाद 6-7 मई की रात पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय बलों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया।
बाद में 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।