अखलाक कामयाबी का रास्ता, इस्लाम में अतिवाद के लिए कोई जगह नहींः डॉ. अल-इस्सा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 17-07-2023
अखलाक कामयाबी का रास्ता, इस्लाम में अतिवाद के लिए कोई जगह नहींः डॉ. अल-इस्सा
अखलाक कामयाबी का रास्ता, इस्लाम में अतिवाद के लिए कोई जगह नहींः डॉ. अल-इस्सा

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव शेख मोहम्मद अब्दुल करीम अल-इस्सा ने कहा जो इंसान तकवा, तहारत और अखलाक का पाबंद है, वही कामयाब है. जो हिंसा करेगा, वह नाकामयाब होगा. उन्होंने कहा कि इस्लाम में अतिवाद के लिए कोई जगह नहीं है.

डॉ. अल-इस्सा नई दिल्ली की जामा मस्जिद में जुमे की नमाज में खुतबा यानी उपदेश दे रहे थे. यहां पहुंचने पर सर्वप्रथम जामा मस्जिद के इमाम सैयद इमाम अहमद बुखारी ने उनका स्वागत किया. इस दौरान नमाजियों से मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव शेख मोहम्मद अब्दुल करीम अल-इस्सा का परिचय कराते हुए इमाम अहमद बुखारी ने कहा कि हिंदुस्तान के सऊदी अरब से गहरे संबंध हैं. आपके यहां से आने से हिंदुस्तानी मुसलमानों को अपनापन का एहसास हुआ है. उन्हांेने मुस्लिम वर्ल्ड लीग के बैनर तले उनके द्वारा शांति और सद्भावना के लिए विश्व स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की.

 


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पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत अल-इस्सा को जामा मस्जिद में बारह बजे आना था, पर अपनी व्यस्ताओं के चलते करीब आधा घंटा देरी से जामा मस्जिद पहुंचे. अल-इस्सा की अगुवाई में जामा मस्जिद में नमाजियों ने जुमे की नमाज अदा की. इससे पहले अपने करीब आधे घंटे की खुतबे यानी उपदेश में अल-इस्सा ने बार-बार अखलाक, भाईचारा और अच्छे चरित्र के महत्व पर जोर दिया.

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उन्होंने हदीस का हवाला देते हुए कहा-‘‘ऐ, ईमान वालों तकवा और परहेजगार बानो.’’ उन्होंने पैगंबर के संदेशों और हदीस का हवाला देते हुए कहा, ‘‘जो इंसान तकवा, तहारत का पाबंद है, वही कामयाब.’’

उन्होंने नमाजियों का आह्वान करते हुए कहा कि मुसलमान अपने अखलाक से पहचाना जाता है. उन्होंने कुरान और हजरत आयशा का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने सबसे ज्यादा एक दूसरे से अच्छे आचरण पर जोर दिया है.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम नरमी, ईमानदारी और दूसरों से अच्छे व्यवहार की पैरवी करता है. इस्लाम तमाम इंसानों की मिल्लत का मजहब है.मुसलमानों को सभी के प्रति दयालु होना चाहिए.

 


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उन्होंने कहा कि इस्लाम पैदा होने से मरने तक इंसानियत, खून के रिश्ते को इज्जत देना सिखाता है. उन्होंने मक्का क्लीयरेंस का जिक्र करते हुए कहा कि इसके जरिए इस्लाम के अहम ऐलान को जमीन पर उतारा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि सच्चे मुसलमान को खुश अखलाक होना चाहिए. इस्लाम की दावत भी यही है. उन्होंने बेहतर इंसान बनने के गुर बताते हुए कहा कि एक बार नए सिरे से ईमानदारी, तकवा, ईमान से खुद को संवारें आपकी जिंदगी बदल जाएगी.

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उन्होंने खुतबे में कहा कि हमें अपने पड़ोसियों का ख्याल रखना होगा. इस्लाम संपूर्ण मानवता का सम्मान करना सिखाता है. हमें मानवता की रक्षा में विश्वास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस्लामी संदेश भूगोल, संदर्भ और विविधता का सम्मान करता है. सच्चा आस्तिक वही है जो सीधे रास्ते पर चले. एक सच्चे आस्तिक को दयालु होना चाहिए.

उन्होंने हिंसा की पैरवी करने वालों को हतोत्साहित करते हुए कहा कि जो लोग हिंसा करते हैं, निश्चित ही नाकाम होंगे. उन्होंने लोगों में खुशी बांटने पर जोर दिया. साथ ही हदीस का हवाला देते हुए कहा कि एक मोमिन की पहचान उसके व्यवहार से होनी चाहिए. इस दौरान जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी के पुत्र शाबान बुखारी भी मौजूद थे.