कार्यकर्ताओं, सांसदों ने दिल्ली में ‘वीबी-जी राम जी विधेयक’ के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 19-12-2025
Activists, MPs stage symbolic protest in Delhi against 'VB-G Ramji Bill'
Activists, MPs stage symbolic protest in Delhi against 'VB-G Ramji Bill'

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
संसद द्वारा शुक्रवार को संप्रग सरकार के शासनकाल के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त करते हुए ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक’ पारित करने के बाद सांसदों और कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया।
 
कार्यकर्ता राजेंद्रन नारायणन, ज्यां द्रेज, मुकेश और अन्य के साथ कांग्रेस के सांसद शशिकांत सेंथिल, द्रमुक के एस मुरासोली और थंगा तमिल सेल्वन, माकपा के विकास भट्टाचार्य और भाकपा (माले) लिबरेशन के राजा राम सिंह भी शामिल हुए।
 
इस बीच, ग्रामीण मजदूरों के साथ काम करने वाले संगठनों के गठबंधन, नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई और बताया गया कि प्रदर्शन के लिए अनुरोध 10 दिन पहले देना होगा।
 
एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘विधेयक को पारित होने में तीन दिन लगे। लेकिन विरोध प्रदर्शन करने के लिए हमें 10 दिन का नोटिस देना होगा।’’
 
कार्यकर्ता ने कहा कि मोर्चे के कुछ सदस्यों को पुलिस से पत्र भी मिले थे, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर उन्होंने प्रदर्शन किया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
 
कार्यकर्ता ज्यां द्रेज ने ‘वीबी-जी राम जी विधेयक’ को पारित करने के दौरान अपनाई गई प्रक्रिया की आलोचना की, जबकि मनरेगा विधेयक को व्यापक परामर्श के बाद लाया गया था।
 
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह एक ‘बुलडोजर बिल’ है, क्योंकि यह न केवल नरेगा को, बल्कि नरेगा के तहत जारी सभी आदेशों और अधिसूचनाओं को एक ही झटके में रद्द कर रहा है।’’
 
कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति न दिए जाने की आलोचना की।
 
उन्होंने कहा, ‘‘यह जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है। विशेष रूप से ऐसे गंभीर कानून में, जो बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करता है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर अपनी चिंताओं को उठाने का भी अधिकार नहीं है। यह बेहद शर्मनाक और घृणित है।’’
 
सेंथिल ने विधेयक पारित करने के तरीके की कड़ी आलोचना की।
 
उन्होंने कहा, ‘‘संसद में इसे जिस तरह से पारित किया गया, वह सरकार की इसे पारित करने की मंशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। सरकार द्वारा इसे मात्र नाम परिवर्तन बताना सरासर झूठ और दिखावटी है। कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाकर 125 करना भी ध्यान भटकाने की रणनीति है।’’
 
कांग्रेस सांसद ने कहा कि नया कानून भूमिहीन मजदूरों को वापस जमींदारों के दरवाजे पर ले जाएगा और कृषि के सत्र के दौरान काम रोककर उनकी सौदेबाजी की ताकत छीन लेगा।
 
माकपा सांसद विकास भट्टाचार्य ने कहा कि काम करने का अधिकार छीन लिया गया है।