संगठनों में महिलाओं को जगह दें, तब ही होगा देश-समाज का उत्थान : प्रो अख्तरुल वासे

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 19-11-2022
संगठनों में महिलाओं को जगह दें, तब ही देश-समाज का उत्थान होगा: प्रो अख्तरुल वासे
संगठनों में महिलाओं को जगह दें, तब ही देश-समाज का उत्थान होगा: प्रो अख्तरुल वासे

 

शाह इमरान हसन/ नई दिल्ली
 
पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा है कि पैगंबर की पत्नी खदीजा ने मिशन के बाद कारोबार जारी रखा. शरीयत का एक तिहाई हमें हजरत आयशा से मिला. राजनीतिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व किया. इमाम हुसैन की शहादत के बाद हजरत जैनब ने नेतृत्व संभाला, इसलिए हमें अपने संगठन में महिलाओं को जगह देनी होगी तभी देश समाज का उत्थान होगा.

प्रो अख्तरुल वास ने यह बात मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (एमएसओ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही.
 
उन्होंने कहा कि यह मुल्क हमारी मातृभूमि ही नहीं, पितृभूमि भी है. जब आदम अलैहिस्सलाम इस दुनिया में आए तो सबसे पहले भारत में कदम रखा. इसलिए यह हमारी पितृभूमि है.
 

प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि अल्लामा इकबाल कहते हैं

 

ठंडी हवा आई मीर अरब में जहां से मेरा वतन है--


मेरी मातृभूमि वही है, उन्होंने कहा कि यह भूमि सूफियों की भूमि है. इस धरती से हमारी वफादारी नहीं होगी तो किसकी होगी? जब हम दफनाए जा़ते हैं तो कहते हैं कि इस मिट्टी से पैदा होने वाले इस मिट्टी में मिल जाएंगे. हमारी वफा उनसे नहीं तो किससे होगी?
 
अल्लामा इकबाल ने कहा- वतन का कण-कण खुदा है

उन्होंने कहा कि रसूल हमारे लिए आदर्श हैं. यह आवश्यक है कि हम उनके कष्टों और उपदेशों से इस देश का निर्माण करें. देश के लिए प्यार एक स्वाभाविक भावना है.
 
akhtarul wasay
 
यदि कोई मतभेद है, तो हम इसे एक साथ हल करेंगे. मदीना में पैगंबर ने ये बातें कही थीं. उन्होंने कहा कि हम न तो शासक हैं और न ही अधीनस्थ, लेकिन हम सत्ता में समान भागीदार हैं. हम अल्लाह और रसूल पर ईमान रखते हैं. 
 
प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि अगर एमएसओ के पास गर्ल्स विंग नहीं है तो इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. पैगंबर ने अपने घर की औरतों को जो अधिकार दिए हैं, वही अधिकार दें. रसूलुल्लाह के जीवन में महिलाओं के सभी अधिकार मौजूद हैं.
 
पैगंबर की पत्नी खदीजा ने मिशन के बाद कारोबार जारी रखा. शरीयत का एक तिहाई हमें हजरत आयशा से मिला. राजनीतिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व किया. इमाम हुसैन की शहादत के बाद हजरत जैनब ने नेतृत्व किया, इसलिए आपको भी अपने संगठन में महिलाओं को जगह देनी चाहिए. याद रखिए कि जो देश कर्बला के बाद बच सकता है, जो 1947 के बाद बचा है, वही बचेगा.
 
अखिल भारतीय संगठन उलेमा हक के अध्यक्ष अल्लामा मुफ्ती अशफाक हुसैन कादरी ने अपने भाषण में कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य इस्लाम के पैगंबर के जीवन के प्रकाश में देश का निर्माण करना है. फाउंडेशन अच्छा होगा तो मंजिल मजबूत होगी.
 
हम एक देश का निर्माण करना चाहते हैं, तो हम पैगंबर के जीवन का अनुसरण करके एक अच्छा देश बना सकते हैं. जहां नैतिकता और न्याय नहीं है, वहां व्यवस्था काम नहीं कर सकती.
 
पैगंबर के जीवन का प्रकाश कल भी उतना ही महत्वपूर्ण था और आज भी महत्वपूर्ण है. जो कोई भी जीवनी पढ़ेगा वह निश्चित रूप से प्रभावित होगा. अगर देश को जगाना है तो एमएसओ को आगे आना होगा.
 
अपना समय बर्बाद मत करो. यदि आप नैतिक बन जाते हैं, तो दुनिया आपको नमस्कार करेगी. प्रोफेसर अख्तरुल वासे को आज दुनिया सलाम करती है.
 
एमएसओ के कार्यक्रम समन्वयक और संरक्षक डॉ. हफीजुर रहमान ने कहा कि एमएसओ की शुरुआत तीन दशक पहले हुई थी. मैं अपनी पढ़ाई के दौरान शामिल हुआ.
 
इसका उद्देश्य पैगंबर के जीवन के प्रकाश में देशभक्ति की भावना पैदा करना है. मैंने लोगों को इससे जुड़े हुए देखा है. मैंने जिन लोगों को देखा वे नैतिक रूप से अद्वितीय थे.
 
दिल्ली में इस संस्था को प्रोफेसर अख्तरुल वासे का संरक्षण प्राप्त है. एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद मुदस्सर अशरफी ने कहा कि एमएसओ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अहले सुन्नत वल जमात को बढ़ावा देना है.यह संस्था न केवल आस्था की रक्षा करती है,  छात्रों का मार्गदर्शन भी करती है. गैर-मुस्लिम यहां हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरबार में दर्शन करने आते हैं और इससे लाभ उठाते हैं.
 
यह कार्यक्रम 18 नवंबर 2022 को प्रो अख्तरुल वासी की अध्यक्षता में मगरिब नमाज के बाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में गालिब अकादमी में आयोजित किया गया.
 
इसमें देश के कुछ हिस्सों से एमएसओ से जुड़े लोगों ने भाग लिया. इसमें डॉ. शुजात अली कादरी, अरमान साबरी, मौलाना उस्मान, मुफ्ती अब्दुल मुस्तफा बरकती,अमन रिजवी आदि उल्लेखनीय रहे.