आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि "चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं", पाकिस्तान आज भी प्रासंगिक बना हुआ है।
उनका कहना था कि धर्म आधारित राष्ट्र न केवल "बचे" रहे हैं, बल्कि "फलते-फूलते" भी रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को दिवंगत लॉर्ड मेघनाद देसाई की अंतिम कृति, 'मोहन एंड मुहम्मद: गांधी, जिन्ना एंड ब्रेक अप इंडिया" के विमोचन के अवसर पर अपने वैचारिक दृष्टिकोण और वास्तविकताओं के बीच विरोधाभासों पर विचार किया।
चंडीगढ़ से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘पाकिस्तान, भू-रणनीतिक खेल को बड़ी ही कुशलता से खेलकर प्रासंगिक बना हुआ है, भले हम चाहें या न चाहें। ऐसी परिस्थितियों में, यह कहना कि धर्म राष्ट्रवाद का आधार नहीं हो सकता, मूलतः बहुलवाद में विश्वास रखने वाले एक व्यक्ति के तौर पर मैं इससे सहमत हूं, लेकिन ऐतिहासिक तथ्य इसके विपरीत हैं। आस्था-आधारित राष्ट्र न केवल बचे हैं, बल्कि फल-फूल (भी) रहे हैं।’’
हालांकि, तिवारी ने पाकिस्तान के निर्माण में निहित विरोधाभासों को उजागर किया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की स्थापना धार्मिक आधार पर हुई थी, लेकिन 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने के 25 वर्षों के भीतर ही यह धारणा टूट गयी, यह विभाजन धार्मिक नहीं, बल्कि "भाषाई" और "जातीय" विभाजनों पर आधारित था।