सिगरेट जितना ही खतरनाक समोसा और जलेबी, खाने से पहले पढ़ना होगा अलर्ट

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 14-07-2025
Samosa and Jalebi are as dangerous as cigarette, you must read the alert before eating
Samosa and Jalebi are as dangerous as cigarette, you must read the alert before eating

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

अगर आप नागपुर की गलियों में चाय के साथ गरमा-गरम समोसे या जलेबी का आनंद लेने जा रहे हैं, तो अब आपको स्वाद से पहले सेहत पर ध्यान देना पड़ेगा. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नई पहल के तहत एम्स नागपुर को निर्देश दिया है कि वह शहर में बिकने वाले हाई-फैट और हाई-शुगर वाले खाद्य पदार्थों के पास ‘तेल और चीनी चेतावनी बोर्ड’ लगाए.

इस आदेश के अनुसार, समोसे, जलेबी, कचौरी, छोले-भटूरे, मिठाइयां और अन्य तले-मीठे व्यंजन जिनमें अधिक मात्रा में ट्रांस फैट, शुगर और कैलोरी होती है, उनके पास ग्राहकों को जागरूक करने वाले बोर्ड लगाए जाएंगे. इन बोर्डों पर लिखा होगा कि इस खाद्य पदार्थ में कितना तेल, घी, ट्रांस फैट और शुगर है, और यह सेहत के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है.
 
लोगों को जागरूक करना उद्देश्य

एम्स नागपुर के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह पहल शहरवासियों को हृदय रोग, डायबिटीज़, हाई बीपी और मोटापे जैसे रोगों से बचाने के उद्देश्य से की जा रही है. यह आदेश FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) की गाइडलाइंस के अनुरूप है, जो 'ईट राइट इंडिया' अभियान के तहत लोगों को संतुलित और सुरक्षित आहार के लिए प्रेरित करता है.
 
खाने के साथ चेतावनी भी

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ठीक उसी तरह जैसे सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी दी जाती है, उसी तर्ज पर अब ‘जंक फूड’ समझे जाने वाले इन पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर भी चेतावनी दी जाएगी. इन बोर्डों पर स्पष्ट तौर पर लिखा होगा जैसे – “इस समोसे में ट्रांस फैट की अधिक मात्रा है, जो हृदय के लिए खतरनाक हो सकता है.” “यह जलेबी अत्यधिक चीनी से भरपूर है, अधिक सेवन से डायबिटीज़ का खतरा बढ़ सकता है.”
 
दुकानदारों को भी मिल रहा प्रशिक्षण

एम्स नागपुर और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग मिलकर नागपुर के मिठाई दुकानों, ठेलों और छोटे रेस्टोरेंट्स के मालिकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं कि उन्हें किन खाद्य पदार्थों पर बोर्ड लगाना है, और उसमें कौन-कौन सी जानकारी देनी होगी. शुरुआत में ये बोर्ड एम्स की ओर से उपलब्ध कराए जाएंगे, और आगे चलकर इसे अनिवार्य बनाया जा सकता है.
 
आम जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस पहल को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। कुछ लोगों ने इसे सेहत के लिहाज से जरूरी और जागरूकता बढ़ाने वाला कदम बताया है, वहीं कुछ ने कहा कि इससे उनके पसंदीदा व्यंजन खाने का मज़ा किरकिरा हो सकता है. स्थानीय निवासी अर्पिता गायकवाड़ कहती हैं, “अगर हमें पहले ही पता चल जाए कि हम क्या खा रहे हैं, तो हम अपने स्वास्थ्य के अनुसार निर्णय ले सकते हैं।” वहीं कॉलेज स्टूडेंट आकाश शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, “जलेबी खाने से पहले अगर चेतावनी पढ़नी पड़ी, तो शायद मीठा खाने का मन ही ना करे!”
 
अन्य शहरों में भी हो सकती है शुरुआत

यदि नागपुर में यह मॉडल सफल रहता है, तो इसे पुणे, मुंबई, भोपाल और इंदौर जैसे अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है. मंत्रालय इस अभियान को एक राष्ट्रीय मॉडल के तौर पर आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहा है.
 
नागपुर में शुरू हुई यह अनूठी पहल भारत में खाद्य चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ा कदम मानी जा सकती है. समोसे-जलेबी के स्वाद से पहले अब सेहत की बात भी होगी, और शायद यही बदलाव आने वाले समय में जीवनशैली को और बेहतर बनाए.