लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि गुर्दे की गंभीर बीमारियों से प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए संतुलित और संयमित जीवनशैली अपनाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने विशेष रूप से बच्चों में बढ़ रही किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारियों पर चिंता व्यक्त करते हुए इनके रोकथाम के लिए एक व्यापक और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री गुरुवार को राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 54वें वार्षिक अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि असंतुलित खानपान, अनियमित दिनचर्या और बदलती जीवनशैली के कारण गुर्दे से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, जिनसे बचाव केवल दवाओं से नहीं बल्कि अनुशासित जीवन पद्धति से ही संभव है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि आज छोटे बच्चे भी किडनी की गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने चिकित्सा विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं से आह्वान किया कि बच्चों को इन रोगों से बचाने के लिए वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण पर आधारित व्यापक रणनीति बनाई जानी चाहिए, जिसमें जागरूकता, समय पर जांच और उचित इलाज को प्राथमिकता दी जाए।
मुख्यमंत्री ने एसजीपीजीआई की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान अपनी स्थापना के समय से ही मानवता की सेवा में समर्पित रहा है और जटिल रोगों के उपचार में देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।
उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके शासनकाल में प्रदेश का स्वास्थ्य क्षेत्र उपेक्षा का शिकार रहा। अस्पतालों को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता था और अव्यवस्था आम बात थी। वर्ष 2017 में भाजपा नीत सरकार के गठन के बाद प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल को धन की कमी नहीं होने दी गई।
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि वर्ष 1947 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में केवल 17 मेडिकल कॉलेज थे, जबकि अब प्रदेश में 80 मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जो करीब 25 करोड़ नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।