पर्यावरण की रक्षा के लिए 15 बेहतरीन ग्रीन दिवाली आइडियाज

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 11-10-2025
Be eco-friendly this Diwali
Be eco-friendly this Diwali

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली  
 
हर वर्ष दीपावली पर जहां एक ओर रौशनी और खुशियाँ फैलती हैं, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियाँ जैसे पटाखों का शोर, प्लास्टिक की सजावट और रासायनिक रंगों की भरमार भी देखने को मिलती है। लेकिन इस वर्ष, कई शहरों और गांवों में लोग 'ग्रीन दिवाली' मनाने की पहल कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस बार लोग किन इको-फ्रेंडली चीजों का उपयोग कर दीपावली को पर्यावरण के अनुकूल बना रहे हैं।
 
15 Green Diwali Ideas For Celebrating An Eco-Friendly Diwali | JBM Global  School

1. मिट्टी के दीये की वापसी
 
प्लास्टिक की लाइटिंग और इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स की जगह अब फिर से मिट्टी के दीयों का चलन लौट आया है।
 
स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए दीये न केवल प्राकृतिक हैं, बल्कि छोटे व्यवसायों को भी बढ़ावा देते हैं।
 
सरसों या तिल के तेल में बाती जलाकर ये दीये पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते।
 
Ready, Steady, Go — for an Eco-Friendly Diwali
 
2. फूलों और पत्तियों से सजावट

बाजार में मिलने वाली प्लास्टिक की सजावट की जगह लोग अब ताजे फूलों, आम व अशोक के पत्तों, कमल के फूल, रंगोली के लिए हल्दी, चावल और गुलाल का प्रयोग कर रहे हैं।
 
यह सजावट न केवल आंखों को सुकून देती है बल्कि पूरी तरह बायोडीग्रेडेबल होती है।
 
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3. इको-फ्रेंडली रंगोली

अब केमिकल रंगों की जगह लोग प्राकृतिक रंगों से रंगोली बना रहे हैं, जैसे:
 
चावल, हल्दी, कुमकुम, सूखे फूल, गेंहूं का आटा, पालक और चुकंदर से बने रंग
 
इससे न केवल रंगोली सुंदर दिखती है, बल्कि मिट्टी और जीवों को भी नुकसान नहीं होता।
 
4. ग्रीन गिफ्टिंग का ट्रेंड

इस बार लोग दिवाली गिफ्ट्स के रूप में प्लास्टिक आइटम्स या मिठाइयों के डिब्बे की जगह पौधे, हर्बल साबुन, बायोडीग्रेडेबल पैकिंग या हस्तनिर्मित वस्तुएं दे रहे हैं।
 
तुलसी, एलोवेरा, मनी प्लांट जैसे पौधों को उपहार में देना एक स्थायी और उपयोगी विकल्प बन गया है।
 
5. बिना पटाखों वाली दिवाली

बच्चे और युवा अब 'नो क्रैकर्स' मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं।
 
स्कूल और कॉलोनियों में साइलेंट सेलिब्रेशन आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें दीया जलाना, भजन-कीर्तन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।
 
6. सस्टेनेबल फैशन

कपड़ों में लोग अब हैंडलूम, खादी, ऑर्गेनिक कॉटन से बने वस्त्र पहनना पसंद कर रहे हैं।
 
इससे न केवल देसी कारीगरों को मदद मिलती है, बल्कि सिंथेटिक कपड़ों से होने वाले प्रदूषण से भी बचाव होता है।
 
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7. बायोडीग्रेडेबल मोमबत्तियाँ

परंपरागत मोमबत्तियों की जगह आप सोया वैक्स या बीज़ वैक्स (मधुमक्खी के मोम) से बनी मोमबत्तियाँ इस्तेमाल करें।
 
इनमें कोई टॉक्सिक धुआं नहीं निकलता और ये प्राकृतिक सुगंध के साथ आती हैं।
 
8. रिसायकल्ड पेपर लैंटर्न्स (आकाश कंदील)

बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक लैंटर्न की जगह रिसायकल पेपर से बने हैंडमेड लैंटर्न खरीदें या स्वयं बनाएं।
 
इन पर रंगोली डिज़ाइन या वॉरली आर्ट जैसी पारंपरिक कला बनाकर घर को सजाएं।
 
9. गोबर के दीये और गणेश-लक्ष्मी मूर्तियाँ

अब गाय के गोबर से बने दीये, मूर्तियाँ, धूपबत्ती स्टैंड और पूजा की अन्य वस्तुएं बाजार में उपलब्ध हैं।
 
ये पूरी तरह बायोडीग्रेडेबल हैं और मिट्टी में घुलकर खाद का काम भी करती हैं।
 
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10. नेचुरल इत्र (अत्तर) और धूप

पूजा और वातावरण को सुगंधित करने के लिए कैमिकल-फ्री धूप, बांस-फ्री अगरबत्ती और प्राकृतिक इत्र का उपयोग करें।
 
इन्हें देशी कारीगर फूलों, जड़ी-बूटियों और चंदन से बनाते हैं।
 
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11. पुरानी चीजों से DIY सजावट

घर पर पड़ी पुरानी बोतलें, टिन के डिब्बे, पुराने कपड़े या अखबार से घर की सजावट तैयार करें।
 
जैसे – कांच की बोतल को पेंट करके दीपक बनाना, पुराने दुपट्टे से तोरण या बंदनवार बनाना।
 
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12. मिट्टी के हांडी और बर्तन

मिठाइयाँ या नमकीन उपहार देने के लिए प्लास्टिक डिब्बों की जगह मिट्टी की हांडी, पत्तों के दोने या सल पत्तों के पैकिंग बाउल का उपयोग करें।
 
ये पारंपरिक भी हैं और ज़मीन में आसानी से नष्ट हो जाते हैं।
 
13. बीज बम (Seed Bombs) उपहार में दें

इन छोटी-छोटी मिट्टी की गेंदों में पौधों के बीज होते हैं। इन्हें उपहार में देकर हर कोई पौधे उगा सकता है।
 
स्कूल, कॉलोनी या संस्थानों में यह एक अच्छा ग्रीन गिफ्ट हो सकता है।
 
14. हाथ से बनी मिठाइयाँ और पारंपरिक पैकिंग

बाजार से आई मिठाइयों के बजाय घर की बनी मिठाइयाँ या लोकल हलवाई की बनी चीजें बेहतर होती हैं।
 
पैकिंग के लिए प्लास्टिक की जगह कपड़े की पोटली, जूट बैग, या पत्तों के डिब्बे का उपयोग करें।
 
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15. लो एनर्जी LED लाइट्स या सोलर लाइट्स

अगर बिजली की लाइट्स ही लगानी हों, तो लो एनर्जी एलईडी या सोलर से चार्ज होने वाली लाइट्स का प्रयोग करें।
 
ये बिजली की खपत कम करती हैं और लंबे समय तक टिकाऊ होती हैं।
 
दिवाली केवल रौशनी और उत्सव का पर्व नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव का अवसर भी है। जब हम छोटे-छोटे बदलाव अपनाते हैं — जैसे मिट्टी के दीये जलाना, प्राकृतिक सजावट करना, और रसायन मुक्त उत्पादों का उपयोग करना — तो हम केवल धरती का ही नहीं, अपने समाज और आने वाली पीढ़ियों का भी भला करते हैं।
 
ग्रीन दिवाली का मतलब केवल पटाखों से परहेज़ करना नहीं, बल्कि हर उस चीज़ को अपनाना है जो हमारी धरती के लिए सुरक्षित हो। यह एक ऐसा कदम है जो हमारी संस्कृति को संरक्षित रखते हुए, आधुनिक समय की ज़रूरतों के साथ तालमेल बिठाता है। इस दिवाली संकल्प लें कि हम कम प्रदूषण, कम अपव्यय, और अधिक संवेदनशीलता के साथ यह पर्व मनाएँगे। अपने बच्चों को भी सिखाएँगे कि त्योहार मनाना और पर्यावरण को बचाना एक साथ संभव है।