भारत में टीबी वैक्सीन एमटीबीवीएसी का क्लिनिकल ट्रायल शुरू

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-03-2024
Clinical trial of TB vaccine MTBVAC begins in India
Clinical trial of TB vaccine MTBVAC begins in India

 

हैदराबाद. भारत में स्पेनिश ट्यूबरक्लोसिस वैक्सीन एमटीबीवीएसी का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है. इंसानों से टीबी के वायरस को अलग कर उन्हें कमजोर कर टीके में इस्तेमाल करने वाला यह पहला ट्रायल है जो भारत बायोटेक द्वारा एक स्पेनिश बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोफैब्री के साथ मिलकर किया जा रहा है.

कंपनियों ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि एमटीबीवीएसी की सुरक्षा और दक्षता का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षण 2025 में शुरू होगा. बायोफैब्री के सीईओ एस्टेबन रोड्रिग्ज ने कहा, "तीन दशकों से अधिक के शोध के बाद, देश में युवकों और नाबालिग में ट्रायल करने के लिए यह एक बड़ा कदम है, जहां दुनिया के 28 प्रतिशत टीबी के मामले सामने आते हैं."

फिलहाल टीबी के खिलाफ लड़ाई में केवल एक टीका बीसीजी (बैसिलस कैलमेट और गुएरिन) है. यह 100 वर्ष से अधिक पुराना है और फेफड़े से संबंधित टीबी की बीमारी पर यह बहुत ज्यादा असरदार नहीं है. इसलिए इस नए टीके की जरूरत है, जो ग्लोबल वैक्सिनोलॉजी में एक मील का पत्थर साबित होगा और इसे सार्वजनिक-निजी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक उदाहरण बताया गया है.

भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णा एला ने कहा, ''भारत में क्लिनिकल ट्रायल के साथ ट्यूबरक्लोसिस के खिलाफ अधिक असरदार टीके की हमारी खोज को आज एक बड़ा बढ़ावा मिला है. युवाओं में बीमारी को रोकने के लिए टीबी के टीके विकसित करने का हमने लक्ष्य रखा और आज एक बड़ा कदम उठाया है. टीबी के टीकों का आविष्कार करने के इस प्रयास में हम बायोफैब्री, डॉ. एस्टेबन रोड्रिग्ज और डॉ. कार्लोस मार्टिन के साथ साझेदार बनकर अच्छा महसूस कर रहे हैं.''

फेज 2 डोज खोजने का ट्रायल पूरा होने के बाद, साल 2023 में नवजात शिशुओं में एक डबल-ब्लाइंड, कंट्रोल्ड फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है, जिसमें टीके की तुलना मौजूदा बीसीजी वैक्सीन से की जाएगी. दक्षिण अफ्रीका के 7,000 नवजात शिशुओं, मेडागास्कर के 60 और सेनेगल के 60 नवजात शिशुओं को टीका लगाया जाएगा. आज तक, 1,900 से अधिक शिशुओं को टीका लगाया गया है.

कोरोनावायरस महामारी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के कारण संक्रमण में बढ़ोतरी हुई और इलाज में कमी आई. इस वजह से एक साल में टीबी से होने वाली मौतें 16 लाख से अधिक हो गईं. एचआईवी असंक्रमित युवाओं में डोज बढ़ोतरी, ट्रायल पूरा करने के बाद, एचआईवी संक्रमित युवाओं में फेज दो का शोध 2024 में शुरू हो गया है, जिससे यह तय किया जा सके कि एमटीबीवीएसी इस आबादी में सुरक्षित है या नहीं.

दक्षिण अफ्रीका में 16 स्थानों पर चल रहे इस परीक्षण में 276 वयस्कों का टीकाकरण शामिल है, जो एमटीबीवीएसी के टीकाकरण वाले एचआईवी-नकारात्मक और एचआईवी-पॉजिटिव वयस्कों और किशोरों में सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता का मूल्यांकन कर रहा है. 

 

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