भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने वाले जेनरेशन-ज़ेड के पसंदीदा क्यों बने बालेंद्र शाह?

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-09-2025
Why did Balendra Shah become Generation-Z's favourite for banning Indian films?
Why did Balendra Shah become Generation-Z's favourite for banning Indian films?

 

नई दिल्ली/काठमांडू

नेपाल में हालिया प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच युवा पीढ़ी एक नए नेतृत्व की तलाश में है। इस समय सबसे ज़्यादा चर्चा में हैं काठमांडू के मेयर और रैपर से राजनेता बने बालेंद्र शाह, जिन्हें लोग "बालेन" के नाम से भी जानते हैं। भेदभाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ रैप गीतों से पहचान बनाने वाले बालेन अब युवाओं के लिए एक "ड्रीम लीडर" बन चुके हैं—खासकर भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने के अपने साहसिक फैसले के कारण।

पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर भड़के प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोगों की मौत के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा। इसके बाद से ही नाराज़ और असंतुष्ट युवाओं ने बालेन को नए नेता के रूप में आगे बढ़ाने की मांग शुरू कर दी है।

राजनीति में आने से पहले बालेन एक अंडरग्राउंड रैपर, गीतकार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर थे। उनका मशहूर गीत "बलिदान", जो भ्रष्टाचार और भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाता है, हाल ही में हुए प्रदर्शनों के दौरान युवाओं के बीच एक बार फिर गूंजा और लाखों बार सुना गया।

2022 में बालेन ने काठमांडू मेयर का चुनाव बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार जीतकर पारंपरिक राजनीति को कड़ा संदेश दिया। लेकिन 2023 में उनकी सबसे बड़ी चर्चा तब हुई, जब भारतीय फिल्म ‘आदिपुरुष’ में सीता को भारत की पुत्री के रूप में दिखाए जाने पर उन्होंने आपत्ति जताई। बालेन ने पहले फिल्म निर्देशक से संवाद बदलने का अनुरोध किया, लेकिन जब उनकी मांग नहीं मानी गई, तो उन्होंने काठमांडू के सिनेमाघरों में भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी।

इस फैसले को नेपाल की युवा पीढ़ी ने राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक माना और बालेन का समर्थन और भी बढ़ गया। यही वजह है कि प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफ़े के बाद, आज नेपाल की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह युवाओं की ज़ुबान पर सिर्फ एक ही नाम है—बालेंद्र शाह (बालेन)