चंडीगढ़
पंजाबी संगीत जगत को गहरा आघात लगा है। मशहूर संगीतकार चरणजीत आहूजा का रविवार शाम लंबी बीमारी के बाद चंडीगढ़ में निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे।
चरणजीत आहूजा ने अपने करियर में पंजाबी सिनेमा को कई यादगार धुनें दीं। 1986 में आई फिल्म की बनू दुनियां दा, गभ्रू पंजाब दा और 1993 की दुश्मनी जट्टां दी जैसे गीत आज भी श्रोताओं के बीच लोकप्रिय हैं। उन्होंने अपने दौर के दिग्गज गायकों, जैसे अमर सिंह चमकिला और गुरदास मान के साथ काम कर पंजाबी संगीत को नई ऊँचाई दी।
आहूजा के निधन पर पूरे पंजाब में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर शोक जताते हुए कहा, “चरणजीत आहूजा का निधन संगीत उद्योग के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी बनाई धुनें हमेशा पंजाबियों के दिलों पर राज करेंगी। मैं उनके पुत्र सचिन आहूजा, परिवार और चाहने वालों के प्रति गहरी संवेदनाएँ प्रकट करता हूँ।”
वहीं, शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि आहूजा की मृत्यु केवल संगीत जगत ही नहीं, बल्कि पूरे पंजाब के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि उनकी कमी को पूरा करना बेहद मुश्किल होगा।
पंजाबी गायकों ने भी उन्हें याद करते हुए भावुक संदेश साझा किए। गायक जसबीर जस्सी, पम्मी बाई और मास्टर सलीम ने उनके निधन को व्यक्तिगत नुकसान बताया। पम्मी बाई ने फेसबुक पर आहूजा के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “आपका संगीत हमेशा याद किया जाएगा।”
चरणजीत आहूजा का नाम पंजाबी फिल्म और लोकसंगीत में एक स्वर्णिम युग का प्रतीक माना जाता है। उनके योगदान ने न सिर्फ पीढ़ियों को संगीत से जोड़ा बल्कि पंजाबी संस्कृति को भी विश्व पटल पर पहचान दिलाई।