अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में लाल सिंह चड्ढाः समीक्षक बोले- आमिर खान प्रभावित करने में विफल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में लाल सिंह चड्ढाः समीक्षा बोले- आमिर खान प्रभावित करने में विफल
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में लाल सिंह चड्ढाः समीक्षा बोले- आमिर खान प्रभावित करने में विफल

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

आमिर खान की चर्चित फिल्म लाल सिंह चड्ढा को लेकर भारत में समर्थन और विरोध में पिछले कई दिनांे से अभियान चल रहा है. ऐसे में फिलहाल भारतीय समीक्षकों की टिप्पणी को लोग शायद ही गंभीरता से लें.
 
चूंकि 11 अगस्त को फिल्म सिनेमा घरों में आ चुकी है और इसकी कहानी एक विदेशी फिल्म पर आधारित है, इसलिए विदेशी समीक्षकों की इस बारे में क्या राय है, यह जानना अहम हो जाता है.
 
अतुल कुलकर्णी द्वारा लिखित लाल सिंह चड्ढा में आमिर खान, करीना कपूर खान, मोना सिंह और नागा चौतन्य प्रमुख भूमिकाओं में हैं. शूटिंग के दौरान यह कई कारणों से विवादों में रही.
 
बहरहाल,आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा की पहली समीक्षा आ चुकी है और कुछ अंतरराष्ट्रीय फिल्म समीक्षकों के अनुसार, फिल्म एक आशाजनक मामला प्रतीत होता है. 
 
यह फिल्म रॉबर्ट जेमेकिस के छह अकादमी पुरस्कार विजेता फॉरेस्ट गम्प का भारतीय रूपांतरण है. 1994 में रिलीज हुई, इस फिल्म का निर्देशन अभिनेता टॉम हैंक्स ने किया था. इसमें अभिनेता थे रॉबिन राइट, गैरी सिनिस, मायकेल्टी विलियमसन और सैली फील्ड.
 
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार,इंडी वायर की प्रोमा खोसला ने महसूस किया कि अद्वैत चंदन निर्देशित हॉलीवुड क्लासिक की रीमेक होने के बावजूद यह अपने दम पर खड़ी है.
 
अपनी समीक्षा में, उन्होंने लिखा, फिल्म चीजों को एक कदम आगे ले जाती है, अन्यथा एक अचूक अनुकूलन हो सकता है.उन्होंने कहा, लाल सिंह चड्ढा अपनी भावनात्मक धड़कनों को चतुराई से मापते हैं, छिटपुट रूप से मार्मिक दृश्य भी इसमें.
 
यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल के फ्रेड टोपेल भी अनुकूलन से प्रभावित हैं. उन्होंने अपनी समीक्षा में उल्लेख, “लाल सिंह चड्ढा फ्लोटिंग फेदर से प्लॉट स्ट्रक्चर तक फॉरेस्ट गंप के प्रति वफादार हैं. चूंकि इतिहास कथा के लिए कम महत्वपूर्ण है, इसलिए यह कहानी को कुछ नए विषयगत संदर्भ के साथ अधिक वजन देता है.
 
हालांकि, द रैप के कार्लोस एगुइलर ने आमिर के प्रदर्शन को मूल फिल्म के निशान तक नहीं पाया. उन्होंने अपनी समीक्षा में लिखा, ऐसा नहीं कि टॉम हैंक्स के प्रदर्शन को कभी भी सूक्ष्म अभिनय के प्रतिमान के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन खान की चरित्र की व्याख्या, पैरोडी की सीमा तक ही है.
 
अतिरंजित चेहरे के भाव और हंसी को अपमानजनक रूप से नाटकीयता दी गई है. भले ही उनका इरादा ऐसा हो अथवा नहींे.उन्होंने अपनी समीक्षा में कहा, परेशान करने वाली बात यह है कि इसकी भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ की परवाह किए बिना, यह नायक के स्वभाव को अच्छे और दयालुता के लिए उसकी संज्ञानात्मक अक्षमता से उत्पन्न करता है,
 
यह मानते हुए कि विक्षिप्त लोग कभी व्यवहार नहीं करते. ऐसी मानवीय शालीनता और लाल सिंह चड्ढा पर निहित संतत्व का प्रभामंडल रखने के लिए किया गया. ” कुल मिलाकर अंतरराष्ट्रीय फिल्म समीक्षकों ने फिल्म को खास महत्व नहीं दिया है. यहां तक कि आमिर के अभिनय पर भी प्रश्च चिन्ह लगाए गए हैं. /