ओनिका माहेश्वरी/नई दिल्ली
अमजद खान बॉलीवुड के सबसे पसंदीदा विलेन में से एक हैं. आज उनकी 82वीं जयंती है. अमिताभ बच्चन के साथ उनकी कुछ बेहतरीन फिल्में बड़े पर्दे पर आईं और छा गईं. अमजद खान अपने समय के सबसे लोकप्रिय भारतीय अभिनेताओं में से एक थे. उन्होंने लगभग बीस वर्षों के अपने करियर में 130 से अधिक फिल्मों में काम किया है. याराना फिल्म से अभिनेता को हिंदी फिल्मों में खलनायक की भूमिकाओं के लिए जाना जाता है, सबसे प्रसिद्ध 1975 की क्लासिक शोले में प्रतिष्ठित गब्बर सिंह और मुकद्दर का सिकंदर में दिलावर रहे अमजद खान. अमजद खान ने अमिताभ बच्चन के साथ कई ब्लॉकबस्टर हिट फिल्में की हैं. दोनों को उनकी हीरो-विलेन केमिस्ट्री के लिए जाना जाता था.
एक्शन-ड्रामा हो या फैमिली-ड्रामा फिल्म, अमजद और अमिताभ बच्चन की नायक-खलनायक जोड़ी हमेशा हित रही. अमजद खान के जन्मदिन के अवसर पर, यहां उनकी और अमिताभ बच्चन की कुछ फिल्में आपको बताते हैं:
श्री नटवरलाल (1979)
मिस्टर नटवरलाल 1979 में रिलीज हुई एक एक्शन और कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है. फिल्म में अमिताभ बच्चन, रेखा और अमजद खान मुख्य भूमिकाओं में हैं. राकेश कुमार-निर्देशन में अमिताभ बच्चन ने नायक के रूप में अभिनय किया, जबकि अमजद ने प्रतिपक्षी की भूमिका निभाई. ये फिल्म हिट थी.
सत्ता पे सत्ता (1982)
सेट पे सत्ता भी एक एक्शन और कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है. राज एन सिप्पी-निर्देशन में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी के पात्रों के बीच प्रेम कहानी को दर्शाया गया है. 1982 में रिलीज हुई यह फिल्म बहुत बड़ी हिट रही थी. अमजद खान को फिर से एक विरोधी के रूप में देखा जाता है.
शोले (1975)
शोले यकीनन अब तक की सबसे प्रतिष्ठित हिंदी फिल्मों में से एक है. रमेश सिप्पी-निर्देशन 1975 में रिलीज़ हुई. मल्टी-स्टार कास्ट फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार और अमजद खान मुख्य भूमिकाओं में हैं.
याराना (1981)
अमिताभ बच्चन और अमजद खान स्टारर फिल्म 'याराना' में भी दोस्ती की अनोखी मिसाल पेश की गई है. फिल्म दो दोस्तों पर आधारित है. जिनमें एक अमीर और दूसरा गरीब होता है. जिसमें से अमीर दोस्त दूसरे को सिंगर बनाता है. फिल्म की कहानी बेहद ही भावुक कर देने वाली है.
मुकद्दर का सिकंदर(1978)
‘रोते हुए आते हैं सब, हंसता हुआ जो जाएगा‘, ‘सलाम-ए-इश्क मेरी जान जरा कुबूल कर लो‘, ‘ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना...अमिताभ बच्चन और अमजद खान की बेमिसाल अदाकारी की मिसाल देनी हो, तो ‘मुकद्दर का सिकंदर‘ से बेहतरीन और कोई फिल्म नहीं हो सकती.
लावारिस (1984)
लावारिस एक अनाथ हीरा की कहानी थी, जिसे अमिताभ बच्चन ने निभाया था, जो जन्म से पहले अपने पिता (अमजद खान) द्वारा जन्म से पहले ही अस्वीकार कर दिया जाता है. उसे समाज में अपनी पहचान और वैधता स्थापित करने के लिए कई संघर्षों से गुजरना पड़ता है.
कालिया(1981)
‘हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है’‘ 1981 की ये फिल्म दमदार आवाज, मजबूत डायलॉग डिलेवरी के सभी लोग कायल हो गए थें.
अमजद खान गजलों और उर्दू शायरी के बहुत बड़े शौकीन थे. वह हमेशा अपने घर पर दोस्तों के साथ बैठकर गजल की महफिलें सजाया करते थे. अमिताभ ने कहा था कि जब उनकी मौत हुई तो मुझे बहुत बड़ा धक्का लगा था क्योंकि वह मेरे लिए बेहद खास थे. बता दें कि सन् 1992 में हार्ट अटैक से अमजद खान की मौत हो गई थी.