अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अरबी विभाग ने वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मोहम्मद वाजिहुद्दीन की पुस्तक “The Aligarh Muslim University: The Making of Modern Indian Muslims” के विमोचन के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर Journal of the Indian Academy of Arabic (JIAA) के तीन नए अंक भी जारी किए गए।
AMU की कुलपति प्रो. नाइमा खातून ने वाजिहुद्दीन की लेखनी और पत्रकारिता के माध्यम से विश्वविद्यालय की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने की सराहना की। उन्होंने उन्हें एक प्रतिष्ठित अलीगी बताया जिन्होंने AMU समुदाय को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रमुखता दिलाई।
पूर्व उर्दू अकादमी निदेशक डॉ. राहत अबरार ने कहा कि सर सैयद का दृष्टिकोण सभी समुदायों को समेटने वाला था। वहीं, प्रो. हकीम सैयद जिलूर रहमान ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में AMU के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया और ऐसे पिछड़े हुए व्यक्तित्वों जैसे कि सर जियाउद्दीन के योगदानों पर फिर से ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
वाजिहुद्दीन ने कहा कि AMU केवल एक शैक्षणिक संस्था नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जिसने भारतीय मुसलमानों की कई पीढ़ियों को आकार दिया। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे केवल प्रमाणपत्रों तक सीमित न रहें, बल्कि उर्दू और पुस्तकों के प्रति अपने प्रेम को संजोएं।
अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सना उल्लाह नववी ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और पुस्तक के महत्व को रेखांकित किया। धन्यवाद प्रस्ताव में प्रो. मोहम्मद फैजान बेग ने कहा कि AMU राष्ट्र का एक खजाना है और इसकी परंपराओं को संरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. अराफत जाफर द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में प्रो. सैयद काफ़ील अहमद क़ासमी, प्रो. सगीर अफ़राहिम, श्री बचन खान, डॉ. फख़र आलम और प्रो. सैयद ज़ियाउर रहमान सहित अनेक विद्वानों ने भाग लिया।