अलीगढ़, 25 सितंबर:
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के खिलाफ भारत की लड़ाई को नई गति देने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को एक अहम राष्ट्रीय भूमिका सौंपी गई है। विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर असद यू. खान को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजना के लिए अनुदान प्राप्त हुआ है।
यह परियोजना “भारत में रोगियों के उपचार परिणामों को बेहतर बनाने के लिए एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का पता लगाने वाली नवाचार तकनीकों” पर आधारित है। इसके पहले चरण में लगभग 2 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिससे उत्तर भारत में एक विशेष एएमआर नोडल केंद्र की स्थापना की जाएगी। यह केंद्र दवा प्रतिरोध की बढ़ती चुनौतियों की निगरानी, पहचान और समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले ही एएमआर को वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित कर चुका है।
मुख्य प्रधान अन्वेषक (Lead Principal Investigator) के रूप में प्रो. खान लखनऊ, हल्द्वानी, नोएडा, आगरा, और एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) सहित प्रतिष्ठित अस्पतालों के साथ मिलकर क्लीनिकल सैंपल्स का संग्रह और विश्लेषण करेंगे। इस परियोजना में डॉ. राजेश पांडे (CSIR-IGIB, नई दिल्ली) और प्रो. फातिमा खान (JNMC, AMU) सह-अन्वेषक (Co-Principal Investigators) के रूप में योगदान देंगे।
अनुसंधान का मुख्य फोकस कोलिस्टिन और कार्बापेनेम्स जैसे अंतिम उपाय वाली एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध का विश्लेषण करना होगा, साथ ही अस्पतालों के वातावरण और जल स्रोतों के माध्यम से फैल रहे रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पर भी निगरानी रखी जाएगी। यह परियोजना "वन हेल्थ" (One Health) दृष्टिकोण को अपनाती है, जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की परस्पर जुड़ी जिम्मेदारियों को मान्यता देती है।
लगभग दो दशकों से एएमआर क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध कार्य कर रहे प्रो. असद खान ने इस मिशन की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा,“एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक मौन महामारी है, जो चिकित्सा क्षेत्र में दशकों की प्रगति को पलट सकती है। यह परियोजना न केवल भारत की निगरानी क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि नीतिगत निर्णयों के लिए उपयोगी ज्ञान भी उत्पन्न करेगी।”
ICMR द्वारा समर्थित यह परियोजना देश में रोगियों के इलाज और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम मानी जा रही है। एएमयू की यह नेतृत्वकारी भूमिका, क्षेत्रीय नेटवर्क के सशक्तीकरण और अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से लाखों लोगों की जान बचाने में अहम योगदान दे सकती है।