याद किए गए आईआईसीसी के संस्थापक हकीम अब्दुल हमीद

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-09-2022
पैनल के सदस्य
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शाइस्ता फातिमा /नई दिल्ली

अधिकांश लोग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के नाम और काम से परिचित हैं, पर बहुत कम लोगों जानते हैं कि हकीम अब्दुल हमीद कौन थे.दरअसल, वह एक सम्मानित यूनानी चिकित्सा विशेषज्ञ थे, जिन्हें जामिया के फार्मेसी कॉलेज की स्थापना का श्रेय जाता है. बाद में यह कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से जामिया हमदर्द से संबद्ध हो गया.

हकीम अब्दुल हमीद ने ही विश्वविद्यालय जामिया हमदर्द, हमदर्द कोचिंग सेंटर, राबिया गर्ल्स स्कूल, गालिब अकादमी और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, दिल्ली आईआईसीसी की स्थापना की थी.ऐसे में उनकी जयंती पर आईआईसीसी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया.

Hakeem Abdul Hameed

इस दौरानभारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी की पुस्तक पॉपुलेशन मिथ-आर मुस्लिम ओवरटेकिंग द हिंदू? पर चर्चा की गई.कार्यक्रम का आयोजन दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के पूर्व प्रेस सचिव एसएम खान और पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट एसएम यामीन कुरैशी ने संयुक्त रूप से किया.

इस दौरान पैनलिस्ट की हैसियत से पूनम मुतरेजा, ईडी पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया और फराह नकवी, लेखक, सलाहकार मौजूद रहे.कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बदर दुरेज अहमद मौजूद थे. इनकी मां आईआईसीसी की संस्थापक सदस्यों में थीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईसीसी के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी ने की.

कार्यक्रम में एसवाई कुरैशी ने हकीम अब्दुल हमीद के कार्यों की प्रशंसा की. कहा, हकीम साहब चाहते थे कि भारत के युवा ज्यादा से ज्यादा पढ़ें और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठें.उन्होंने कहा कि हकीम अब्दुल ने यूनानी चिकित्सा में अपनी कला हकीम अजमल से सीखी और दिल्ली के लाल कुआं से अपने क्लीनिक की शुरुआत की .

उन्होंने हमदर्द नेशनल फाउंडेशन और तुगलकाबाद में आईआईएमएमआर की भी स्थापना की. उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए अथक प्रयास किए. हम उनके कार्यों को केवल आईआईसीसी तक सीमित नहीं कर सकते. वह एक बहुमुखी इंसान थे, जिनके पास समाज को देने के लिए बहुत कुछ था.”

एसएम खान ने अपने संबोधन में न केवल हकीम अब्दुल की प्रशंसा की, भारतीय समाज में उनके योगदान पर प्रकाश डाला.उन्होंने कहा, आज हम हकीम अब्दुल हमीद की जयंती मना रहे हैं, जिन्होंने जमीन के टुकड़े की खरीद के लिए 10लाख रुपये की लीज मनी दी थी, जहां आज आईआईसीसी खड़ा है.

जामिया हमदर्द के निर्माण के लिए हकीम के कार्यों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “वह युवाओं को शिक्षा देना चाहते थे. अकेले विश्वविद्यालय के निर्माण की जिम्मेदारी ली. 1972में फार्मेसी कॉलेज की स्थापना की. तब यह दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध था. अब जामिया हमदर्द के प्रमुख कॉलेजों में से एक है.

उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार जामिया हमदर्द के दीक्षांत समारोह में भाग लिया और हकीम की विरासत के लिए एक दोहे का हवाला दिया. एपीजे ने शायद ही कभी किसी दोहे को उद्धृत किया हो, लेकिन उस दिन उन्होंने कहा- मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग मिलते गए और कारवां बन गया.

बाबर दुर्रेज अहमद ने संस्थापक को याद करते हुए कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि हकीम साहब का योगदान बहुत बड़ा है. मेरी मां भी आईआईसीसी के संस्थापकों में से एक थीं.सिराजुद्दीन कुरैशी ने उल्लेख किया कि कैसे हकीम अब्दुल हमीद ने कभी भी चंदा इकट्ठा नहीं किया. न ही चंदा मांगा, जबकि सर सैयद चंदा इकट्ठा करने के लिए जाने जाते हैं.

हकीम साहब ने अपने द्वारा स्थापित फार्मेसी से एक-एक पैसा बचाया. अपने युवा दिनों की याद करते हुए कहा कि जब उन्हें हकीम साहब से मिलने का अवसर मिला, मुझे याद है कि उन्होंने उनसे एक व्यवसाय शुरू करने के बारे में सुझाव दिया था.

इस अवसर पर नासिर अब्दुल्ला, अनुभवी फिल्म और थिएटर कलाकार, कमर अहमद, पूर्व आईपीएस अधिकारी और भारतीय मुस्लिम समाज के कई अन्य दिग्गज मौजूद थे.