भारत-सूडान संबंधों में शिक्षा बना सेतु: जामिया में एमओयू की ओर बड़ा कदम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-05-2025
Education becomes a bridge in India-Sudan relations: Big step towards MoU in Jamia
Education becomes a bridge in India-Sudan relations: Big step towards MoU in Jamia

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया और रिपब्लिक ऑफ सूडान के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को लेकर गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इस अवसर पर सूडान के एम्बेसडर महामहिम डॉ. मोहम्मद अब्दुल्ला अली एल्टॉम ने दिल्ली स्थित सूडानी दूतावास के काउंसलर  मोहम्मद अली फजारी के साथ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के यासर अराफात हॉल में वाइस-चांसलर प्रो. मजहर आसिफ और रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी से मुलाकात की.

स्वागत और उद्देश्य

सूडानी प्रतिनिधिमंडल का औपचारिक स्वागत जामिया की डीन, अंतरराष्ट्रीय संबंध, प्रो. उशविंदर कौर पोपली ने किया। उन्होंने जामिया की ऐतिहासिक विरासत, अकादमिक उत्कृष्टता और वैश्विक रैंकिंग से प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया. इस दौरान उन्होंने भारत-सूडान के ऐतिहासिक, कूटनीतिक और मानवीय संबंधों पर भी प्रकाश डाला.

बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच अनुसंधान, छात्र एवं संकाय आदान-प्रदान, और शैक्षणिक कार्यक्रमों में सहयोग को बढ़ावा देना था.

एम्बेसडर की भावुक अपील: “युद्ध के समय शिक्षा की ज़रूरत और बढ़ जाती है”

एंबेसडर डॉ. एल्टॉम ने जामिया में अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय को उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, “सूडान ऐतिहासिक रूप से अफ्रीका में शिक्षा का केंद्र रहा है, लेकिन वर्तमान में हम गंभीर संकट और युद्ध का सामना कर रहे हैं। इस समय शिक्षा ही वह माध्यम है जो हमारे देश को पुनर्निर्माण की राह पर ला सकती है.”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और सूडान के बीच न केवल ऐतिहासिक कूटनीतिक संबंध रहे हैं, बल्कि सांस्कृतिक और सभ्यतागत साझेदारी भी है. उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू की सूडान यात्रा और भारत द्वारा सूडान की स्वतंत्रता को दी गई प्रारंभिक मान्यता का उल्लेख करते हुए दोनों देशों की गहरी मित्रता को याद किया.

जामिया की भूमिका और संसाधन

जामिया की विदेशी छात्र सलाहकार प्रो. साइमा सईद ने जामिया में 31 देशों के छात्रों की उपस्थिति, उनके लिए उपलब्ध संसाधनों और एफएसए कार्यालय की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि जामिया कैसे आवेदन प्रक्रिया से लेकर छात्रवृत्ति, छात्रावास, ओरिएंटेशन कार्यक्रमों और शैक्षणिक जीवन तक छात्रों को हर कदम पर सहयोग देता है.

“जेएमआई सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं, एक फ़िक्र है” – वीसी प्रो. मजहर आसिफ

अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. मजहर आसिफ ने भारत और सूडान की सभ्यतागत समानताओं को रेखांकित किया और कहा, “हम नील और सिंधु जैसी दो महान सभ्यताओं के उत्तराधिकारी हैं.” उन्होंने कहा कि जामिया एक विचारधारा है जो शिक्षा, बहुलवाद और सामाजिक न्याय के मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध है.

वीसी ने सूडान के साथ एमओयू के जरिये इस्लामिक स्टडीज़, अरबी भाषा, शरिया, साइंस और टेक्नोलॉजी जैसे विषयों में साझा अनुसंधान और शैक्षणिक सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही.

भविष्य के लिए रोडमैप

समापन भाषण में रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने भारत और सूडान के द्विपक्षीय राजनीतिक और आर्थिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह बैठक जामिया के विभिन्न विभागों जैसे – अरबी विभाग, इस्लामिक स्टडीज़, एमएमएजे अकादमी और नेल्सन मंडेला शांति केंद्र के लिए एक नई शुरुआत है.

उन्होंने भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सूडान में निभाई गई भूमिका की भी सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी को सशक्त करने पर लगातार ज़ोर दे रहे हैं.

बैठक के अंत में जामिया प्रशासन ने महामहिम एम्बेसडर और काउंसलर को धन्यवाद देते हुए यह आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थान एक दीर्घकालिक, सार्थक और प्रगतिशील सहयोग की ओर बढ़ेंगे.