सीबीएसई बोर्ड : 11वीं, 12वीं की परीक्षा पैटर्न में किया बदलाव

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-04-2024
CBSE Board: Changes made in the exam pattern of 11th, 12th
CBSE Board: Changes made in the exam pattern of 11th, 12th

 

नई दिल्ली.

सीबीएसई ने 11वीं व 12वीं कक्षा की परीक्षा के पैटर्न को बदलने का निर्णय लिया है. इस बदलाव के अंतर्गत परीक्षाओं से लंबे उत्तर वाले प्रश्‍न हटाने का फैसला किया गया है. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस बदलाव का मूल उद्देश्य बच्चों में आंसर रटने की प्रवृत्ति खत्‍म करना और सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है.

सीबीएसई द्वारा जारी किए गए नए परीक्षा पैटर्न शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू कर दिए गए हैं. सीबीएसई का कहना है कि 11वीं और 12वीं कक्षा में लंबे उत्तर वाले प्रश्‍नों की बजाय अब से कॉन्सेप्ट आधारित सवाल पूछे जाएंगे. इसके साथ ही सीबीएसई का यह भी कहना है कि यह बदलाव केवल 11वीं व 12वीं कक्षा के लिए लागू है.

9वीं और 10वीं की कक्षाओं के परीक्षा के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सीबीएसई के मुताबिक, 11वीं और 12वीं के एग्जाम पैटर्न में किया गया परिवर्तन नई शिक्षा नीति 2020 पर आधारित है. नई शिक्षा नीति के अनुरूप ही परीक्षा पैटर्न में सुधार किया गया है.

सीबीएसई के निदेशक जोसेफ इमैनुअल ने बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के मुताबिक ही सीबीएसई ने स्कूलों में दक्षता आधारित शिक्षा को उपयोग में लाने के लिए कदम उठाए हैं. इसमें दक्षता के आधार पर मूल्यांकन और शिक्षकों तथा छात्रों के लिए अनुकरणीय संसाधनों का विकास शामिल है.

जोसेफ इमैनुअल ने बताया कि सीबीएसई स्कूल एजुकेशन के क्षेत्र में ऐसा इको सिस्टम बना रहा है, जिसका उद्देश्य रटना नहीं, बल्कि सीखने पर जोर देना है. इस नए इकोसिस्टम के माध्यम से छात्रों की रचनात्मक सोच व क्षमताओं को विकसित किया जाएगा, ताकि वे 21वीं सदी की चुनौतियों से निपट सकें.

गुरुवार शाम इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए सीबीएसई बोर्ड ने बताया कि बहु-विकल्प प्रश्‍न यानी एमसीक्यू और दक्षता आधारित प्रश्‍नों की संख्या 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी गई है. लघु और दीर्घ उत्तर सहित अन्य प्रश्‍नों का प्रतिशत 40 से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है.

एग्जाम पैटर्न में किए गए बदलाव को लेकर सीबीएसई का यह भी कहना है कि इस बदलाव का एक उद्देश्य यह पता लगाना भी है कि स्कूली छात्र वास्तविक जीवन में विभिन्न अवधारणा को कितना समझ पा रहे हैं.