प्रोफेसर नईमा खातून बनीं एएमयू की पहली महिला वीसी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-04-2024
प्रोफेसर नइमा खातून एएमयू की पहली महिला वीसी
प्रोफेसर नइमा खातून एएमयू की पहली महिला वीसी

 

आवाज द वाॅयस / अलीगढ़.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को सोमवार को अपनी पहली महिला कुलपति मिल गई. प्रख्यात मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर नईमा खातून को एक सदी पुराने प्रमुख शैक्षणिक संस्थान में शीर्ष पद पर नामित किया गया है. शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग की एक अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विश्वविद्यालय के विजिटर होने के नाते प्रोफेसर नईमा खातून को कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक (जो भी पहले आए) कुलपति नियुक्त किया है.

इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग से मंजूरी मिल गई है कि नियुक्ति आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करती है, बशर्ते कि "कोई प्रचार न हो या राजनीतिक लाभ न लिया जाए". प्रोफेसर नईमा खातून, जो जुलाई 2014 से एएमयू के महिला कॉलेज की प्रिंसिपल हैं, ने मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है.

उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र नैदानिक, स्वास्थ्य, व्यावहारिक सामाजिक और आध्यात्मिक मनोविज्ञान है. वह अक्टूबर 2015 से सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एंड करियर प्लानिंग, एएमयू की निदेशक भी हैं राजनीतिक मनोविज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज, दिल्ली और एएमयू में काम किया, वह अगस्त 1988 में लेक्चरर, अप्रैल 1998 में एसोसिएट प्रोफेसर और जुलाई 2006 में प्रोफेसर बनीं.

उन्होंने एक शैक्षणिक वर्ष के लिए रवांडा के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया. प्रोफेसर नईमा खातून ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया और शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं और व्याख्यान देने के लिए यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के कई विश्वविद्यालयों का दौरा किया है.

छह पुस्तकों का लेखन/सह-लेखन/संपादन करने और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं में कई पत्र प्रकाशित करने के बाद, उन्होंने 15 पीएचडी थीसिस और बड़ी संख्या में शोध प्रबंधों का पर्यवेक्षण किया है. उन्हें शैक्षिक प्रशासन में भी काफी अनुभव है. उन्होंने इंदिरा गांधी हॉल और अब्दुल्ला हॉल में प्रोवोस्ट (दो बार) और डिप्टी प्रॉक्टर के रूप में कार्य किया है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति भी सरकार की नीति को स्पष्ट करती है. पिछली बार सरकार ने जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर नजमा अख्तर को पहली महिला कुलपति बनाया था.अब वही इतिहास दोहराया गया है. वीसी के ऐलान के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई थी.
 
आदर्श आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से मंजूरी मांगी गई थी. आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, ष्महिला कॉलेज की प्रिंसिपल नईमा खातून को पांच साल की अवधि के लिए एएमयू का कुलपति नियुक्त किया गया है. ईसीआई ने कहा है कि उसे एएमयू कुलपति की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव पर आदर्श आचार संहिता से कोई आपत्ति नहीं है. बशर्ते इससे कोई राजनीतिक लाभ न लिया जाए.
 
विश्वविद्यालय की स्थापना 1920 में हुई थी

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना दिसंबर 1920 में हुई थी. विश्वविद्यालय की चांसलर महिला बेगम सुल्तान जहां थीं जबकि पहले कुलपति महमूदाबाद के राजा मुहम्मद अली मुहम्मद खान थे. यूनिवर्सिटी के कुलपति के पैनल में कभी किसी महिला का नाम शामिल नहीं हो सका.
 
दरअसल, कुछ महीने पहले जब राष्ट्रपति को नए कुलपति की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय से दावेदारों की सूची भेजी गई तो उसमें प्रोफेसर नईमा खातून का नाम भी शामिल था.
 
 
प्रो नईमा एएमयू महिला कॉलेज की प्राचार्य एवं कार्यवाहक कुलपति प्रो. मुहम्मद गुलरेज की पत्नी हैं. एएमयू कोर्ट ने राष्ट्रपति को तीन नाम भेजे थे, जिनमें प्रो. एमयू रब्बानी, प्रो. नईमा खातून, प्रो. फैजान मुस्तफा था. इनमें प्रो. नईमा खातून को एएमयू का कुलपति बनाया गया.
 
watch:-