एएमयू यूनानी चिकित्सा संकाय ने मनाया 1500वाँ ईद मिलाद-उल-नबी समारोह

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 09-09-2025
AMU Faculty of Unani Medicine celebrated 1500th Eid Milad-ul-Nabi celebrations on the theme 'Rahmatulil Alameen'
AMU Faculty of Unani Medicine celebrated 1500th Eid Milad-ul-Nabi celebrations on the theme 'Rahmatulil Alameen'

 

अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के यूनानी चिकित्सा संकाय ने 1500वाँ ईद मिलाद-उल-नबी समारोह बड़े उत्साह के साथ आयोजित किया। इस वर्ष का विषय था – “रहमतुल्लिल आलमीन” (संपूर्ण विश्व के लिए रहमत)। कार्यक्रम में पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद ﷺ की शिक्षाओं पर विचार किया गया, जिनका पैग़ाम आज भी पूरी दुनिया को शांति, करुणा और भाईचारे का संदेश देता है।

मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रो. क़य्यूम हुसैन, पूर्व कुलपति, क्लस्टर यूनिवर्सिटी श्रीनगर, ने कुरआन में बार-बार आने वाले अल्लाह के दो गुण अल-रहमान और अल-रहीम पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस्लाम का मूल पैग़ाम पूरी इंसानियत के लिए रहमत और दया का है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. मोहम्मद गुलरेज़, पूर्व कुलपति एएमयू, ने कहा कि हमें पैग़म्बर ﷺ की दया और करुणा को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए पैग़म्बर ﷺ की हिदायतों—पेड़ लगाना, पानी की बचत करना, फ़िज़ूलखर्ची से बचना और जानवरों पर रहम करना—को इस्लामी मूल्यों का अहम हिस्सा बताया।

प्रो. एस.एम. सफ़दर अशरफ़, डीन, यूनानी चिकित्सा संकाय, ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि पैग़म्बर-ए-इस्लाम ﷺ की शिक्षाएँ 1500 साल बाद भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। उनका पैग़ाम शांति, न्याय, समानता और करुणा का है, जो आज के विभाजन और टकराव के दौर में इंसानियत के लिए एक उम्मीद की किरण है।

कार्यक्रम में सैयद रहबर अली ने नात-ए-पाक पेश की। इसके बाद हज़रत अल्लामा आतिफ़ मियाँ क़ादरी अज़हरी, सज्जादानशीन, ख़ानक़ाह बदायूँ (उ.प्र.) ने मुख्य व्याख्यान दिया। उन्होंने ईमान को मज़बूत करने और पैग़म्बर ﷺ के सार्वभौमिक संदेश को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पैग़म्बर ﷺ का सदक़ा और ख़ैरात पर ज़ोर ग़रीबी से लड़ने का पैग़ाम देता है, औरतों की इज़्ज़त पर उनकी तालीम हमें लैंगिक समानता सिखाती है, ईमानदारी पर उनकी ज़िद भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ है, और पर्यावरण की देखभाल की उनकी शिक्षा प्रकृति की हिफ़ाज़त का रास्ता दिखाती है।

प्रो. आसिम ज़फ़र, ओएसडी (डेवलपमेंट), एएमयू ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि असली कामयाबी तभी है जब हम पैग़म्बर ﷺ के मूल्यों को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शामिल करें।

कार्यक्रम का समापन प्रो. बी.डी. ख़ान, प्रिंसिपल, अजमल ख़ान तिब्बिया कॉलेज, के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। संचालन डॉ. अहमद मुज्तबा सिद्दीकी, अध्यक्ष, शॉर्ट ईवनिंग कोर्सेज़, एएमयू ने किया।

जलसे का समापन सलात-ओ-सलाम और दुआ के साथ हुआ, जिसने प्रतिभागियों को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और पैग़म्बर-ए-इस्लाम ﷺ के शाश्वत संदेश से प्रेरित कर दिया।