जानिए, शिवाजी महाराज की फौज में 5 खास मुस्लिम सेनापति कौन थे ?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-02-2024
Ibrahim Khan Gardi
Ibrahim Khan Gardi

 

राकेश चौरासिया

छत्रपति शिवाजी महाराज ने जीवन पर्यंत आदिलशाही और मुगलों के विरुद्ध बिगुल बजाए रखा. आदिलशाह और औरंगजेब किसी भी कीमत पर शिवाजी महाराज को मिटाने के लिए तत्पर थे. इसके बावजूद, हिंदवी स्वराज अभियान में उन्हें स्थानीय मुस्लिमों का भरपूर सहयोग और समर्थन मिलता रहा. स्थानीय मुस्लिम शिवाजी महाराज की छत्रछाया में स्वयं को सुरिक्षत और संपन्न महसूस करते थे. शिवाजी महाराज और मुस्लिमों में सामंजस्य एवं विश्वास इस हद तक था कि उनकी सेना में 7 मुस्लिम सेनापति खास पदों पर तैनात थे, जिनके बिना शिवाजी महाराज की फौज की मारक क्षमता बहुत कम हो जाती.

शिवाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले था और उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में महत्वपूर्ण मराठा सामंत राजा शाहजी राजे भोंसले और मातो श्री जीजाबाई के घर हुआ था. शिवाजी महाराज और मुस्लिमों के बीच संबंधों को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि शिवाजी महाराज और मुस्लिमों में संबंध मधुर नहीं थे, जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि शिवाजी महाराज धर्मनिरपेक्ष शासक थे. और इसका सबूत इस बात से मिलता है कि उन्होंने अपनी सेना में मुस्लिम सेनापतियों को खास जिम्मेदारियां दी थीं. यदि षिवाजी महारजा का चरित्र धर्मनिरपेक्ष न होता और वे मुस्लिमों के प्रति दुर्भावनापूर्ण होते, तो इतने महत्व के पदों पर मुस्लिम सेनापतियों को तैनात न करते. 

साथ ही शिवाजी महाराज ने कई मुस्लिम संतों और विद्वानों का सम्मान किया. उन्होंने मुस्लिम धार्मिक स्थलों को संरक्षण भी दिया. शिवाजी महाराज ने कई मुस्लिम शासकों के साथ संधि की. उन्होंने मुगलों के खिलाफ लड़ाई में भी कुछ मुस्लिम शासकों की मदद ली. इतना जरूर कह सकते हैं कि शिवाजी महाराज और मुस्लिमों के बीच संबंध जटिल थे. इनमें सामंजस्य और टकराव दोनों के प्रमाण हैं, क्योंकि उनका बीजापुर सल्तनत के आदिलशाह और मुगल बादशाह औरंगजेब से जीवन भर 36 का आंकड़ा रहा. किंतु यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवाजी महाराज एक धर्मनिरपेक्ष शासक थे और उन्होंने अपनी सेना में सभी धर्मों के लोगों को शामिल किया था.

शिवाजी महाराज की सेना में कई मुस्लिम सैनिक और सेनापति थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य के विस्तार और उसकी रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इनमें से कुछ प्रमुख सेनापति और उनकी उपलब्धियां इस प्रकार हैंः

1. सिद्दी इब्राहिम खान

सिद्दी इब्राहिम खान शिवाजी महाराज के नौसेना प्रमुख थे. उन्होंने मराठा नौसेना को मजबूत बनाने और उसे कई महत्वपूर्ण युद्धों में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाळा किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.

2. दाऊद खान

दाऊद खान शिवाजी महाराज के एक कुशल सेनापति और रणनीतिकार थे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और जीत हासिल की. दाऊद खान ने 1670 में सूरत पर छापा मारकर मुगल साम्राज्य को बड़ा झटका दिया था.

3. फिदई खान

फिदई खान शिवाजी महाराज के एक वफादार सेनापति और मित्र थे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और जीत हासिल की. फिदई खान ने 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.

4. इब्राहिम खां गारदी

इब्राहिम खां गारदी शिवाजी महाराज के एक कुशल सेनापति और प्रशासक थे. वे शिवाजी महाराज की सेना के तोपखाने के प्रमुख थे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण किलों की रक्षा का जिम्मा संभाला और उन्हें सफलतापूर्वक निभाया. इब्राहिम खां गारदी ने 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.

5. अब्दुल करीम

अब्दुल करीम शिवाजी महाराज के एक कुशल सेनापति और रणनीतिकार थे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और जीत हासिल की. अब्दुल करीम ने 1689 में बीजापुर के खिलाफ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

इनके अलावा भी कई अन्य मुस्लिम सैनिक और सेनापति थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना और उसकी रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवाजी महाराज की सफलता में उनके मुस्लिम सेनापतियों का महत्वपूर्ण योगदान था. मुस्लिम सेनापतियों को शामिल करने की नीति मराठा साम्राज्य की सफलता के महत्वपूर्ण कारकों में से एक मानी जाती है.

 

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