राकेश चौरासिया
भारत में इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नौंवे महीने रमजान की शुरुआत 12 मार्च, मंगलवार से हो सकती है. इस पूरे तकद्दूस अरसे में अकीदतमंद पाबंदगी से रोजा यानी उपवास करेंगे. उपवास वैसे भी भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है. सनातन वैदिक हिंदू के सहोदर धर्मों जैन, बौद्ध आदि में उपवास की विशद परंपरा रही है. और रोजा या उपवास का सहस्राब्दियों से प्राकृतिक चिकित्सा के खास सुतून के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है. रोजा रखने से पित्त और गुर्दे की तकलीफ से छुटकारा पाया जा सकता है. कई वैज्ञानिक शोधों में रोजा रखने वालों को असाधारण लाभ मिलने के उल्लेख किए गए हैं. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि रोजा रखने से किन बीमारियों में लाभ मिलेगा.
रोजेदार रमजान के दौरान इबादत और रोजे में रहता है. इसलिए उसे रुहानी और जिस्मानी दोनों तरह का फायदा होता है. पटना की कोतवाली मस्जिद के इमाम मोहम्मद तनाउल मुस्तफा के मुताबिक, हालैंड के पादरी एल्फ गॉल ने हृदय, पेट, श्वसन और मधुमेह रोगों से पीड़ितों को एक माह का रोजा रखवाया. इससे उन्हें भारी स्वास्थ्य लाभ हुआ. इसी तरह पेट के कीड़ों से परेशान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ममूर पेलैड ने रोजा रखा, तो उन्हें इस बीमारी से निजात मिल गई.
रोजा रखने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैंः
यहां कुछ अन्य टिप्स दिए गए हैं जो आपको रोजा रखने के दौरान स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैंः
रोजा रखना एक आध्यात्मिक अनुभव है जो आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है. रोजा रखने के अलावा, स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से भी आप कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो रोजा रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
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