ईद के लिए किस जानवर की कुर्बानी दी जा सकती है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 12-06-2024
Camel
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राकेश चौरासिया

ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है. यह त्योहार हजरत इब्राहिम (अ.स.) की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इस दिन मुसलमान कुर्बानी देते हैं.

इस्लाम में कुर्बानी के लिए केवल कुछ ही जानवरों को जायज माना गया है. इनमें शामिल हैंः

  • ऊंटः नर या मादा, कम से कम 6 साल का हो.
  • बकराः नर या मादा, कम से कम 6 महीने का हो.
  • भेड़ः नर या मादा, कम से कम 6 महीने की हो.

कुछ जानवरों की कुर्बानी जायज नहीं है

  • सुअरः इस्लाम में सुअर का मांस खाना और उसकी कुर्बानी देना दोनों ही हराम है.
  • घोड़ाः घोड़े की कुर्बानी जायज नहीं है.
  • गायः गाय की कुर्बानी भी जायज नहीं है, क्योंकि उसके दूध में शिफा है.
  • खच्चरः खच्चर की कुर्बानी भी जायज नहीं है.
  • अंधा, बीमार या घायल जानवरः किसी भी ऐसे जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती जो अंधा, बीमार या घायल हो.
  • गर्भवती जानवरः गर्भवती जानवर की कुर्बानी भी जायज नहीं है.

कुर्बानी का विधान

  • कुर्बानी का जानवर स्वस्थ और तंदुरुस्त होना चाहिए.
  • कुर्बानी का जानवर किसी भी शारीरिक दोष से मुक्त होना चाहिए.
  • कुर्बानी का जानवर किसी भी तरह से घायल या बीमार नहीं होना चाहिए.
  • कुर्बानी का जानवर हलाल तरीके से जिबह किया जाना चाहिए.
  • कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाना चाहिए. एक हिस्सा गरीबों को दिया जाना चाहिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों को दिया जाना चाहिए और तीसरा हिस्सा खुद रखा जा सकता है.

कुर्बानी का महत्व

  • कुर्बानी हजरत इब्राहिम (अ.स.) की कुर्बानी की याद में मनाई जाती है.
  • कुर्बानी से इंसान में अल्लाह के प्रति समर्पण और आज्ञाकारिता की भावना पैदा होती है.
  • कुर्बानी से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का अवसर मिलता है.
  • कुर्बानी से समाज में भाईचारा और एकता बढ़ती है.

ईद-उल-अजहा एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो मुसलमानों द्वारा बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. कुर्बानी इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका उद्देश्य अल्लाह के प्रति समर्पण और आज्ञाकारिता दिखाना है.

(ध्यान देंः यह जानकारी प्रचलित मान्यताओं के आधार पर केवल सामान्य जानकारी के लिए है. कुर्बानी से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए कृपया उलेमा-एकराम से सलाह ले सकते हैं.)