दीपावली कब और क्यों मनाई जाती है

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 31-10-2023
Diwali Puja
Diwali Puja

 

राकेश चौरासिया

दिवाली 2023ः दीपावली को प्रकाश के महापर्व के रूप में माना जाता है. यह सनातन वैदिक हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है. यूं तो सावन की तीज के साथ ही विभिन्न त्योहारों की झड़ी लग जाती है. दिवाली भी अपने साथ कई त्योहार लाती है. बाबू दोज, तीज, गणेश चतुर्थी, श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), अगले दिन लक्ष्मी पूजन (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज की पूरी श्रंखला है. ये पर्व आमतौर पर लगातार आते हैं. दीपावली के दिन हिंदू मतावलंबी धन व ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करके जीवन में सुख-समृद्धि की मंगल कामना करते हैं.

दीपावली कब है 2023

दिवाली या दीपावली का अर्थ है दीप (दीपक) और वली (पंक्ति) यानी दीपों की लाइन. दिवाली दीपावली पर पूरा देश जगमगा उठता है. अंतरिक्ष से लिया गया चित्र भारत की नयनाभिराम झांकी प्रस्तुत करता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर पधारती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं. यही वजह है कि, लेकिन इस साल दिवाली की सही तारीख को लेकर असंजस की स्थिति बनी हुई है.

  • इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रही है. इसका समापन 13 नवंबर, सोमवार की दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर हो रहा है.
  • हिंदू धर्म में वैसे तो उदया तिथि के आधार पर पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के समय करना शुभ होता है.
  • प्रदोष काल की पूजा का समय 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है.
  • इसलिए इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी.

दीपावली की पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

दिवाली में पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है. वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है.

दिवाली क्यों मनाई जाती है?

दिवाली के पर्व की प्रमुख मान्यता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण को पराजित करके अयोध्या लौटे थे और उनका 14 वर्ष का वनवास पूरा कर हुआ. भगवान श्री राम के अयोध्या वापसी पर नगर वासियों ने पूरे अयोध्या को दीपक जलाकर प्रकाशित किया. तभी से पूरे देश में दिवाली मनाई जाने लगी. इसके अलावा दिवाली मनाने के कई अन्य कारण भी हैंः

राम, लक्ष्मण, सीता की अयोध्या वापसी

दीपावली का रामायण से क्या संबंध है?: उत्तरी भारत में दिवाली का त्योहार भगवान राम, लक्ष्मण और सीता मैया की अयोध्या वापसी के उत्सव का प्रतीक है. इसे अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व माना जाता है.

लक्ष्मी का पुनर्जन्म 

दीपावली मां लक्ष्मी के पुनर्जन्म की स्मृति दिवस के रूप में भी मनाई जाती है. देवी लक्ष्मी का पुनर्जन्म देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय हुआ था. दिवाली की रात को ही श्री लक्ष्मी और श्री हरि का विवाह संपन्न हुआ था.

नरकासुर का वध

दीपावली पर भगवान कृष्ण ने किसका वध किया था? द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. वह असम के पास प्रागज्योतिषपुर का दुष्ट राजा था. उसने 16,000 लड़कियों को बंदी बना रखा था. ब्रज क्षेत्र में, भारत के उत्तरी भाग में, दक्षिणी तमिल और असम के कुछ हिस्सों में, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) को उस दिन के रूप में देखा जाता है, जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था.

काली पूजा

शक्तिवाद के कलिकुला संप्रदाय के अनुसार, देवी महाकाली की अंतिम अभिव्यक्ति कमलात्मिका का अवतार दिवाली के दिन ही हुआ था. इस दिन को कमलात्मिका जयंती के रूप में भी मनाया जाता है और यह पड़ता है. काली पूजा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मिथिला, सिलहट, चटगांव और महाराष्ट्र के टिटवाला शहर के क्षेत्रों में मनाई जाती है.

पांडवों की हस्तिनापुर वापसी

महाभारत काल में द्यूत क्रीडा में पराजित होने के बाद कौरवों ने पांच पांडवों को 12 वर्ष का अज्ञातवास दिया था. पांडव कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली पर हस्तिनापुर लौटे थे.

महाराजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

महान हिंदू चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दिवाली के दिन हुआ था. उन्हें एक आदर्श राजा के रूप में जाना जाता है, जिनके समय से विक्रमी संवत काल गणना प्रारंभ हुई थी. जो अपनी उदारता, साहस और विद्वानों के संरक्षण के लिए जाने जाते हैं.

बंदी छोड़ दिवस

दिवाली का सिख धर्म से एक प्रमुख संबंध है. एक ऐतिहासिक घटना के अनुसार सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद ने मुगल राजा जहांगीर की कैद से 52 हिंदू राजाओं को दिवाली पर मुक्त करवाया था.

महावीर निर्वाण दिवस

जैन धर्म में दिवाली का त्यौहार महावीर की आत्मा के निर्वाण की सालगिरह मनाने के लिए मनाया जाता है. वह वर्तमान ब्रह्मांडीय युग के चौबीसवें और अंतिम जैन तीर्थंकर थे. कार्तिक मास की चतुर्दशी को भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.

महर्षि दयानंद का निर्वाण

कार्तिक अमावस्या के दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद को निर्वाण प्राप्त हुआ था.

नव वर्ष के रूप में दिवाली

गुजरात और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों के हिंदुओं के लिए दिवाली का त्योहार नए साल की शुरुआत का भी प्रतीक है.