शब ए बारात के पीछे की कहानी क्या है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 21-02-2024
 Shab-e-Baraat
Shab-e-Baraat

 

राकेश चौरासिया

शब-ए-बारात को क्षमा और मुक्ति की रात कहा जाता है और जो एक महत्वपूर्ण इस्लामी त्योहार है. शब-ए-बारात (शब का अर्थ है रात और बारात का अर्थ है मुक्ति) इस्लाम धर्म में पवित्र रातों में से एक है. यह इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 14वीं और 15वीं रात को मनाई जाती है. इस त्योहार का निर्धारण चांद दिखने के आधार पर होता है.

कुरान करीम की एक आयत के मुताबिक, ‘‘निस्संदेह हमने इसे धन्य रात में अवतरित किया है. निःसंदेह, हम ही सचेत करने वाले हैं. इस (रात) में हमारी आज्ञा द्वारा ज्ञान के सभी मामलों पर (अलग-अलग) निर्णय दिया जाता है.’’ (अल-कुरान, 44ः3-5)

इस त्योहार को दुनिया के दीगर हिस्सों में चेराघ ए बारात, बारात नाइट, बेरात कंदिली या निस्फू सियाबन भी कहते हैं. प्रमुख मान्यता है कि इस विशेष रात में अल्लाह धरती के सभी लोगों और जीवों के भाग्य और भविष्य का फैसला करते हैं.

मान्यताएंः

  • क्षमा की रातः इस रात को अल्लाह ताला अपने बंदों को उनकी गलतियों और गुनाहों के लिए क्षमा प्रदान करता है. शब-ए-बारात को माफी की रात भी कहा जाता है. इसलिए कई मुसलमान भाई इसे क्षमा-पर्व के तौर पर भी मनाते हैं और ने अपने रिश्तेदारों और जानकारों से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते हैं. 
  • भाग्य की रातः इस रात को अगले वर्ष के लिए लोगों के भाग्य लिखे जाते हैं.
  • प्रार्थना और उपासनाः इस रात को मुसलमान पूरी रात अल्लाह की इबादत करते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं, और दुआएं करते हैं.

सुन्नी मुसलमान

  • इस रात को नूह पैगंबर के संदूक को जलप्रलय से बचाने की याद में मनाते हैं.
  • कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों के लिए दुआएं करते हैं और उनकी मजारों पर मोमबत्ती की रोशनी करती हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस रात को पैगंबर मुहम्मद ने कब्रिस्तान में जाकर अपने परिवार के सदस्यों के लिए प्रार्थना की थी. 

शिया मुसलमान

  • वे इस रात को 12वें इमाम मुहम्मद अल-महदी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं.
  • विशेष रीति-रिवाजों का पालन करते हैं.

उपवास

  • इस रात को कई मुसलमान उपवास रखते हैं.
  • सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं.

नमाज

  • इस रात को विशेष नमाजें पढ़ी जाती हैं.
  • ईशा की नमाज के बाद ‘तरावीह’ की नमाज पढ़ी जाती है.

कुरान की तिलावत

  • लोग कुरान की तिलावत करते हैं और दुआएं मांगते हैं.

दान

  • इस रात को गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है.
  • लोग भोजन, कपड़े, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करते हैं.
  • रिश्तेदारों और परिचितों को उपहार और मिठाइयां भी दी जाती हैं.

शब-ए-बारात एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो मुसलमानों को क्षमा, मुक्ति, और आध्यात्मिकता का संदेश देता है. यह पर्व हम सबके जीवन में शांति और समृद्धि लाए. इस कामना से कम से कम हम अपनी जानी-अनजानी गलतियों के लिए अपने सर्वशक्तिमान, पुरखों, रिश्तेदारों और परिचितों से क्षमा अवश्य मांगें.

 

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