शिवरात्रि मनाने का मुख्य कारण क्या है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 07-03-2024
What is the purpose of Mahashivratri?
What is the purpose of Mahashivratri?

 

राकेश चौरासिया

शिवरात्रि या महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव के प्रति समर्पण और आत्म-शुद्धि का पर्व है. इस दिन भगवान शंकर और पार्वती का विवाह हुआ था, जो सृष्टि का सबसे सुंदर विवाह माना जाता है. इसमें मैया पार्वती ने अपने पति को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी. उसके बाद ही उन्हें वर स्वरूप भगवान शिव प्राप्त हो पाए थे.

महाशिवरात्रि 2024 तिथि

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को संध्याकाल 09 बजकर 57 मिनट पर होगी. इसका समापन अगले दिन 09 मार्च को संध्याकाल 06 बजकर 17 मिनट पर होगा. शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है. ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च 2024 को रखा जाएगा.

महा शिवरात्रि मनाने के मुख्य कारण

  • यह माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था.
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था.
  • यह दिन आत्म-शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

उत्सव का स्वरूप

  • भक्त व्रत रखते हैं और उपवास करते हैं.
  • भक्त रात भर जागकर भगवान शिव की पूजा करते हैं.
  • भक्त भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं.
  • भक्त शिव मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं.

शिव-पार्वती विवाह

मैया पार्वती को सती और दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है. वे हिमालय राजा दक्ष और रानी प्रसूति की पुत्री थीं. बचपन से ही, पार्वती भगवान शिव की पत्नी बनने की इच्छा रखती थीं. पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की. उन्होंने कई वर्षों तक अन्न-जल त्यागकर, जंगलों में रहकर, और कठोर व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना की.

पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार करने का फैसला किया. लेकिन, भगवान शिव ने पार्वती की भक्ति और समर्पण को परखने का फैसला किया. उन्होंने एक भिक्षु का रूप धारण किया और पार्वती के पास गए. भिक्षु ने पार्वती से दान मांगा. पार्वती ने बिना किसी संदेह के भिक्षु को अपनी सारी वस्तुएं दान कर दीं.

भगवान शिव पार्वती की भक्ति और समर्पण से प्रसन्न हुए. उन्होंने अपना असली रूप प्रकट किया और पार्वती से विवाह करने का प्रस्ताव रखा. पार्वती ने खुशी-खुशी भगवान शिव का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.

शिव और पार्वती का विवाह एक भव्य समारोह में हुआ था. सभी देवता, ऋषि-मुनि, और अन्य जीव-जंतु इस विवाह समारोह में शामिल हुए थे.

पौराणिकता

यह कहानी विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में मिलती है, जिनमें शिव पुराण, देवी भागवत पुराण और स्कंद पुराण शामिल हैं. शिव-पार्वती विवाह प्रेम, त्याग और समर्पण की अद्भुत कहानी है. यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार सभी बाधाओं को पार कर सकता है.

महाशिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त 

  • 8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम के समय 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है.

महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रातः 03 बजकर 34 मिनट से प्रातः 06 बजकर 37 मिनट तक

महाशिवरात्रि पूजा विधि

  • शिवालय में जाकर भगवान शिव का अभिषेक करें.
  • सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं.
  • शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा अर्पित करें.
  • शिवलिंग को केसर युक्त खीर का भोग लगाएं और उसका प्रसाद बांटें.
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
  • रात भर जागरण करें और भगवान शिव की भक्ति में लीन रहें.

महाशिवरात्रि का महत्व

  • महाशिवरात्रि आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है.
  • इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
  • महाशिवरात्रि आंतरिक शांति और आनंद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है.
  • इस दिन भक्त नकारात्मक विचारों और भावनाओं से मुक्ति पा सकते हैं.
  • महाशिवरात्रि का दिन मोक्ष प्राप्ति का भी उत्तम अवसर माना जाता है.

इस तरह, महाशिवरात्रि भगवान शिव के प्रति समर्पण और आत्म-शुद्धि का पर्व है. यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शांति प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है.