राकेश चौरासिया
मस्जिद क़ुबा मदीना के बाहरी इलाके में स्थित है. इस्लाम में इसका खास महत्व है. यह पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) द्वारा निर्मित पहली मस्जिद मानी जाती है और इसे पहली मस्जिद के रूप में जाना जाता है.
जब हज की सभी रस्में पूरी हो जाती हैं, तो जायरीनों की पसंद होती है कि वे इस्लामिक महत्व के अन्य महत्वपूर्ण इमारतों और उपासना स्थलों का भ्रमण करें. इसमें कुबा मस्जिद उनकी पहली पसंद होती है, क्योंकि यह अल्लाह के प्यारे रसूल से बावस्ता है. कुबा मस्जिद में इतनी भीड़ उमड़ती है कि व्यवस्थापकों खास इंतजाम करने पड़ते हैं.
मस्जिद कुबा का ऐतिहासिक महत्व
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622 ईस्वी में मक्का से मदीना की हिज्रत के दौरान पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मस्जिद क़ुबा की नींव रखी थी.
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मस्जिद का निर्माण पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और उनके साथियों ने मिलकर किया था.
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यह मस्जिद न केवल नमाज अदा करने का स्थान थी, बल्कि एक सामाजिक और शैक्षिक केंद्र भी थी.
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पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मस्जिद क़ुबा में अनेक महत्वपूर्ण धार्मिक शिक्षाएं दीं और अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए.
धार्मिक महत्व
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मस्जिद क़ुबा में नमाज अदा करने का विशेष महत्व है. एक हदीस में कहा गया है कि मस्जिद क़ुबा में दो रकाअत नमाज अदा करना एक उमरा के बराबर है.
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पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अक्सर मस्जिद क़ुबा जाते थे और पैदल या घोड़े पर सवार होकर हर शनिवार को वहां नमाज अदा करते थे.
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मस्जिद क़ुबा को ‘मस्जिद-ए-तक़वा’ भी कहा जाता है.
आधुनिक मस्जिद
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सदियों से, मस्जिद क़ुबा का कई बार जीर्णोद्धार और विस्तार किया गया है.
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आज, यह मस्जिद एक विशाल परिसर में फैली हुई है जिसमें कई प्रार्थना कक्ष, आंगन, मीनारें और धार्मिक विद्यालय शामिल हैं.
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मस्जिद क़ुबा दुनिया भर से आने वाले मुसलमानों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है.
मस्जिद क़ुबा इस्लाम के इतिहास और धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. यह पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की विरासत का एक जीवंत प्रतीक है और दुनिया भर के मुसलमानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.