रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त कब है ?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-08-2024
Good wishes on happy Rakshabandhan
Good wishes on happy Rakshabandhan

 

राकेश चौरासिया

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भाई-बहन के बीच के प्रेम और सुरक्षा के संबंध को मनाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं. इसके बदले में भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और उनके जीवन की हर परिस्थिति में साथ देने का वचन देते हैं. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसका महत्व पूरे भारत में समान रूप से महसूस किया जाता है.

रक्षाबंधन 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन 2024में 19अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें सूर्योदय के बाद से लेकर भद्राकाल समाप्त होने तक राखी बांध सकती हैं, क्योंकि भद्राकाल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है.

रक्षाबंधन 2024 का शुभ मुहूर्त

  • रक्षाबंधन 2024 की तिथि: 19 अगस्त, 2024 (सोमवार)
  • राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: प्रातः 09.30 बजे से लेकर अपराह्न 12.45 बजे तक
  • भद्राकाल में राखी न बांधें: अपराह्न 12.45 बजे से 1.30 बजे तक
  • राखी बांध सकते हैं: अपराह्न 1.30 बजे से रात 9.30 बजे तक
  • पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 18 अगस्त, 2024 को रात 10.45 बजे से
  • पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 19 अगस्त, 2024 को रात्रि 09.00 बजे

 

भद्रा काल का ध्यान रखते हुए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रातः काल से शुरू होकर दोपहर के समय तक रहेगा. ऐसा माना जाता है कि यदि राखी भद्रा काल के दौरान बांधी जाती है, तो इसका अशुभ प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इस समय से बचने की सलाह दी जाती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, रावण को उसी बहन ने भद्राकाल में ही राखी बांधी थी. इसलिए वह प्रभु श्री राम के हाथों मारा गया.

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

रक्षाबंधन का त्यौहार केवल राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और सामाजिक मूल्यों को भी दर्शाता है. राखी बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है और इसके पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएँ भी जुड़ी हुई हैं.

पौराणिक कथाएं

  • इंद्र और शकुंतला की कथाः एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ, तो भगवान इंद्र की पत्नी शकुंतला ने इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा और उनके विजय की कामना की. इसके बाद इंद्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की. तभी से रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा का प्रचलन हुआ.
  • कृष्ण और द्रौपदीः महाभारत में, श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की कलाई पर रक्त निकलने के कारण अपने कपड़े का एक टुकड़ा बांधा था, जिसे द्रौपदी ने राखी की तरह धारण किया. इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की, तो कृष्ण ने उनकी रक्षा की थी. इसे भी राखी का एक उदाहरण माना जाता है.
  • संतोषी मां की कथाः एक और कथा के अनुसार, संतोषी मां के जन्म की कहानी भी रक्षाबंधन से जुड़ी हुई है. जब गणेश जी के पुत्रों ने अपनी बहन के होने की इच्छा जताई, तो गणेश जी ने अपनी योग शक्ति से संतोषी मां का जन्म कराया.

 

रक्षाबंधन की तैयारी और परंपराएं

रक्षाबंधन के दिन बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पूजा की तैयारी करती हैं. इसके बाद वे पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें राखी, चावल, रोली, मिठाई, और दीपक होता है. पहले घर और मंदिर में देवताओं का पूजन किया जाता है और देवताओं को राखी बांधी जाती है. फिर घर में, भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले, बहनें उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी आरती करती हैं. इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन लेते हैं.

रक्षाबंधन के दिन बाजारों में काफी रौनक देखने को मिलती है. विभिन्न प्रकार की राखियां, मिठाइयाँ, और उपहारों की दुकानें सज जाती हैं. लोग इस दिन को अपने परिवार के साथ मिलकर मनाते हैं और भाई-बहन के इस विशेष बंधन का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है.

आधुनिक युग में रक्षाबंधन

समय के साथ रक्षाबंधन का स्वरूप भी बदलता जा रहा है. आज के समय में भाई-बहन चाहे जहाँ भी हों, वे इस त्यौहार को एक-दूसरे के साथ मनाने के लिए इंटरनेट और डाक सेवा का सहारा लेते हैं. ऑनलाइन राखी भेजने की सुविधा ने दूर-दूर रह रहे भाई-बहनों को और भी करीब ला दिया है. इसके अलावा, कई स्थानों पर रक्षा सूत्र के रूप में राखी की जगह विभिन्न प्रकार के ब्रेसलेट और धागों का भी प्रयोग होने लगा है.

रक्षाबंधन और समाजिक संदेश

रक्षाबंधन का त्यौहार केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और भाईचारे का भी प्रतीक है. इस दिन को विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग भी मिलकर मनाते हैं, जो कि सामाजिक एकता और आपसी सम्मान का संदेश देता है. इसके माध्यम से हम सभी को यह सिखाया जाता है कि सुरक्षा और प्रेम का बंधन किसी भी व्यक्ति से हो सकता है, चाहे वह हमारा रक्त संबंधी हो या नहीं.

रक्षाबंधन 2024का त्यौहार 19अगस्त को मनाया जाएगा, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन का शुभ मुहूर्त प्रातः 09.30बजे से लेकर अपराह्न 12.45बजे तक रहेगा. इस त्यौहार का धार्मिक और सामाजिक महत्व बहुत बड़ा है, और यह हमें आपसी प्रेम, सम्मान और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करने की प्रेरणा देता है.

रक्षाबंधन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि हमारे समाज और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें हमारे रिश्तों की पवित्रता और महत्व को समझने और उसे बनाए रखने का सिखावन देता है.