राकेश चौरासिया
रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भाई-बहन के बीच के प्रेम और सुरक्षा के संबंध को मनाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं. इसके बदले में भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और उनके जीवन की हर परिस्थिति में साथ देने का वचन देते हैं. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसका महत्व पूरे भारत में समान रूप से महसूस किया जाता है.
रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन 2024में 19अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें सूर्योदय के बाद से लेकर भद्राकाल समाप्त होने तक राखी बांध सकती हैं, क्योंकि भद्राकाल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है.
भद्रा काल का ध्यान रखते हुए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रातः काल से शुरू होकर दोपहर के समय तक रहेगा. ऐसा माना जाता है कि यदि राखी भद्रा काल के दौरान बांधी जाती है, तो इसका अशुभ प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इस समय से बचने की सलाह दी जाती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, रावण को उसी बहन ने भद्राकाल में ही राखी बांधी थी. इसलिए वह प्रभु श्री राम के हाथों मारा गया.
रक्षाबंधन का त्यौहार केवल राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और सामाजिक मूल्यों को भी दर्शाता है. राखी बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है और इसके पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएँ भी जुड़ी हुई हैं.
रक्षाबंधन के दिन बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पूजा की तैयारी करती हैं. इसके बाद वे पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें राखी, चावल, रोली, मिठाई, और दीपक होता है. पहले घर और मंदिर में देवताओं का पूजन किया जाता है और देवताओं को राखी बांधी जाती है. फिर घर में, भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले, बहनें उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी आरती करती हैं. इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन लेते हैं.
रक्षाबंधन के दिन बाजारों में काफी रौनक देखने को मिलती है. विभिन्न प्रकार की राखियां, मिठाइयाँ, और उपहारों की दुकानें सज जाती हैं. लोग इस दिन को अपने परिवार के साथ मिलकर मनाते हैं और भाई-बहन के इस विशेष बंधन का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है.
समय के साथ रक्षाबंधन का स्वरूप भी बदलता जा रहा है. आज के समय में भाई-बहन चाहे जहाँ भी हों, वे इस त्यौहार को एक-दूसरे के साथ मनाने के लिए इंटरनेट और डाक सेवा का सहारा लेते हैं. ऑनलाइन राखी भेजने की सुविधा ने दूर-दूर रह रहे भाई-बहनों को और भी करीब ला दिया है. इसके अलावा, कई स्थानों पर रक्षा सूत्र के रूप में राखी की जगह विभिन्न प्रकार के ब्रेसलेट और धागों का भी प्रयोग होने लगा है.
रक्षाबंधन का त्यौहार केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और भाईचारे का भी प्रतीक है. इस दिन को विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग भी मिलकर मनाते हैं, जो कि सामाजिक एकता और आपसी सम्मान का संदेश देता है. इसके माध्यम से हम सभी को यह सिखाया जाता है कि सुरक्षा और प्रेम का बंधन किसी भी व्यक्ति से हो सकता है, चाहे वह हमारा रक्त संबंधी हो या नहीं.
रक्षाबंधन 2024का त्यौहार 19अगस्त को मनाया जाएगा, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन का शुभ मुहूर्त प्रातः 09.30बजे से लेकर अपराह्न 12.45बजे तक रहेगा. इस त्यौहार का धार्मिक और सामाजिक महत्व बहुत बड़ा है, और यह हमें आपसी प्रेम, सम्मान और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करने की प्रेरणा देता है.
रक्षाबंधन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि हमारे समाज और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें हमारे रिश्तों की पवित्रता और महत्व को समझने और उसे बनाए रखने का सिखावन देता है.