राकेश चौरासिया
धनतेरस का पर्व दीपावली से एक या दो दिन पहले आता है. इसे हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धन त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है. उन्हें भगवान विष्णु का अतवार भी माना जाता है. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक कहे जाते हैं और उनके स्मरण मात्र से व्यक्ति विभिन्न बीमारियों से ठीक हो जाता है. धनतेरस के दौरान, भगवान यमराज के सम्मान के संकेत के रूप में पूरे घर में दीपक रखे जाते हैं. यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार का भाग्य, धन-धान्य और स्वास्थ्य समृद्ध होगा. व्यापार या कोई नया शुभ कार्य भी इस दिन शुरू करना सर्वोत्तम माना जाता है.
दिवाली यानी प्रकाश का पर्व धनतेरस से शुरू हो जाता है. धनतेरस पर घरों में ग्रहस्थों द्वारा कई अनुष्ठान और पूजाएं की जाती हैं. इसके लिए हिंदू परिवारों में धातुओं और विशेषकर सोने या चांदी के आभूषण खरीदे जाते हैं. सामर्थ्यहीन लोग भी कम से कम सगुन के लिए एक बर्तन को अवश्य खरीदते हैं. धनतेरस से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों का उद्देश्य घर की समृद्धि और पति के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करना है. धनतेरस के दिन कई घरों में लक्ष्मी पूजा की जाती है. धनतेरस दिवाली समारोह के लिए शुभ और उत्सवपूर्ण माहौल तैयार करता है.
धनतेरस को लेकर अभी भी लोगों के मन में कई सवाल हैं. धनतेरस क्यों मनाया जाता है कहानी?, धनतेरस का क्या महत्व है बताइए?, धनतेरस में क्या चीज शुभ माना जाता है?, घर पर धनतेरस कैसे मनाते हैं?, धनतेरस पर पैसा खर्च नहीं करना चाहिए? धनतेरस पर क्या नहीं देना चाहिए?,धनतेरस के दिन क्या करें क्या न करें?, धनतेरस पर कितने दीपक जलाने चाहिए?, क्या हम धनतेरस पर कपड़े खरीद सकते हैं?, धनतेरस पर कितने झाड़ू खरीदनी चाहिए?, झाड़ू की पूजा कब की जाती है?, हम इन सवालों पर यहां चर्चा करेंगे.
यूं तों धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि समुद्र से प्रकट हुए थे और उनके प्राकट्योत्सव के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है. लेकिन इससे एक कहानी भी जुड़ी हुई है. एक समय की बात है. हिम नाम का एक राजा था, जो न्याय और प्रेम के साथ अपने राज्य पर शासन करता था. उनका एक बेटा था और ज्योतिषीय भविष्यवाणी के अनुसार जब लड़का पृथ्वी पर अपने जीवन के सोलहवें वर्ष में कदम रखेगा, तो उसे एक साँप काट लेगा. राजा को यह जानकर कष्ट हुआ. एक प्रसिद्ध ज्योतिषी की सलाह के अनुसार, उन्होंने अपने बेटे की शादी एक ऐसी लड़की से की, जिसकी कुंडली बहुत भाग्यशाली थी.
राजा के बेटे के सोलहवें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर, उसकी विद्यान पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए एक चतुर योजना बनाई. उसने अपने सारे गहने इकट्ठे किये और उन्हें मुख्य द्वार के सामने ढेर लगा दिया और उनके आस-पास दीपक जला दिए. उसने अपने पति को न सोने की सलाह दी और वह भी रात भर जागती रही. वह घर के प्रवेश द्वार के पास मुख्य द्वार की रखवाली करते हुए बैठी थी.
लड़के के प्राण हरने के लिए नियत समय पर मृत्यु के देवता भगवान यम एक सांप के रूप में घर के सामने आये. सांप रेंगते हुए घर के मुख्य दरवाजे तक पहुंच गया. जब साँप दरवाजे में प्रवेश करने ही वाला था, तो आभूषणों के ढेर ने उसे रास्ते में ही रोक दिया. आभूषण इतने चमकदार थे कि साँप को उसके आस-पास कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था. इस बीच लड़की रात भर भजन गाती रही. भजन इतने आकर्षक थे कि सांप दरवाजे पर ही रुककर भजनों का आनंद लेता रहा. इस बीच राजा के पुत्र की जान लेने का समय समाप्त गया. तब यमराज को अपना यह कार्य अधूरा छोड़ना पड़ा. इस तरह एक पतिव्रता स्त्री ने अपने पति के प्राण बचा लिए.
हर वष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व पड़ता है. इस साल 2023 के पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी का प्रारंभ 10 नवंबर, 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से होगा और त्रयोदशी तिथि 11 नवंबर, 2023 को दोपहर एक बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी. इस बार 10 नवंबर को धनतेरस पर्व मनाया जाएगा.
धनतेरस के 10 नवंबर 2023 के दिन दोपहर 2 बजकर 35 मिनट से लेकर 11 नवंबर 2023 को सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक खरीदारी का शुभ मुहूर्त बन रहा है. धनतेरस के मौके पर सोना-चांदी और बर्तन की खरीदारी बेहद शुभ माना जाता है.
पंचांग के अनुसार, धनतेरस में 10 नवंबर 2023 को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा. इस शुभ मुहूर्त में, लक्ष्मी, गणेश, कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की पूजा-अराधना का बड़ा महत्व होता है.
धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर धन के देवता हैं और उनकी पूजा करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति को धनवान बना देते हैं.
आभूषणः आभूषणों में निवेश करना हमेशा एक अच्छा विचार है. सोना, धन और सफलता का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक दीर्घकालिक संपत्ति है, जिस पर व्यक्ति कठिन समय में भरोसा कर सकते हैं. भारत में, धनतेरस और दिवाली सोना खरीदने के लिए सबसे शुभ समय में से दो हैं.
धनतेरस पर क्या सोने और चाँदी के सिक्के खरीद सकते हैं?
लोग इस दिन ‘धन’ के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं, जिनका प्रतिनिधित्व एक रुपये के सिक्के से होता है. इस दिन आप सोने और चाँदी के सिक्के खरीद सकते हैं. इस पर्व पर लोग आमतौर पर कार्यस्थल को सजाते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. इस दिन सोने और चांदी के सिक्कों की सबसे अधिक मांग रहती है.
बर्तन खरीदें
कुछ पीतल, तांबा, चांदी, या यहां तक कि मिट्टी के रसोई के बर्तन लें और पहले प्रसाद बनाने के लिए उनका उपयोग करें. हिंदू परंपरा के अनुसार इस दिन खाली बर्तन लाना वर्जित है. इसे अंदर लाकर दाल, चावल या दूध से भर दें..
इलेक्ट्रॉनिक आइटम
यदि आप अपने फोन, टेलीविजन, या अन्य विद्युत उपकरणों को अपग्रेड करना चाह रहे हैं, तो धनतेरस ऐसा करने का सही समय है. धनतेरस पर इलेक्ट्रॉनिक शोरूमों में भी सुबह से लेकर देर रात तक चहल-पहल रहती है. धनतेरस के दौरान नए इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदने का एक लाभ यह है कि आप दिवाली बिक्री का लाभ उठा सकते हैं और बहुत सारे पैसे बचा सकते हैं. इसलिए धनतेरस पर क्या मिलेगा, इसकी चिंता छोड़ें और इसकी जगह कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदें.
देवी-देवताओं की मूर्तियां
धनतेरस आपके पूजा क्षेत्र में नई देवी-देवताओं की मूर्तियां लाने का उत्तम अवसर है. पीतल, चांदी, संगमरमर या लकड़ी से बनी मूर्तियां खरीदना, आरती करना और उन्हें अपने पूजा कक्ष के संग्रह में जोड़ा जा सकता है. दिवाली पूजन के लिए भी लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा लाई जा सकती है.
धनतेरस पर कितने झाड़ू खरीदनी चाहिए?, झाड़ू की पूजा कब की जाती है?
झाड़ू में श्री लक्ष्मी जी का वास होता है. कहते हैं कि लक्ष्मी जी जहां स्वच्छता होती है, वहीं निवास करती हैं. झाडू उनका प्रतिनिधि यंत्र है. धनतेरस पर झाड़ू खरीदना भाग्यशाली और शुभ माना जाता है. घर के लिए झाड़ू खरीदना एक अच्छे दिन पर घर से गरीबी को दूर करने का प्रतिनिधित्व करता है, और इसका तात्पर्य यह है कि आपके परिवार की सभी वित्तीय चिंताएं दूर हो जाएंगी.
गोमती चक्र
यह एक दुर्लभ समुद्री शंख है, जो गोमती नदी के किनारे पाया जा सकता है. देवी लक्ष्मी के अधिकांश उपासक और हिंदू धर्म इसे पवित्र मानते हैं. दिवाली के दिन पूजा करते समय इसका उपयोग किया जा सकता है. बुरी नजर से बचने के लिए घर और कार्यस्थल पर गोमती चक्र रखना जरूरी है. इसके अतिरिक्त, ये चक्र आपके पूरे परिवार की सफलता का समर्थन करते हैं.