चार मीनार की दीवारें आज भी मोहम्मद कुली कुतुब शाह की मौजूदगी का देती हैं पता

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 20-01-2022
चार मीनार
चार मीनार

 

मोहम्मद अकरम / हैदराबाद
 
हैदराबाद शहर की स्थापना गोलकुंडा के पांचवें शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने की थी. उन्होंने अपने शासन में 1591 में चार मीनार, 1694 में मक्का मस्जिद, 1672 में हयात बख्शी मस्जिद समेत अनेक ऐतिहासिक धरोहरों का निर्माण कराया था.

शहर हैदराबाद की स्थापना से पहले गोलकोंडा का पुराना किला गोलकुंडा राज्य की राजधानी थी. जब सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने गद्दी संभाली तो गोलकोंडा से कुछ दूर मूसा नदी के किनारे हैदराबाद शहर आबाद किया.
 
वह 15 साल की उम्र में सन 1550 में  सिंहासन पर बैठे और 31 साल तक शासन किया. वह फारसी और उर्दू के शायर थे. उनके द्वारा बनाई गई धरोहर आज भी उनकी मौजूदगी का पता देती हैं.
 
 जिस समय चार मीनार को बनाया गया उस समय वहां नदी थी, जो अब बीच शहर में हो गई है. इसके निर्माण के लिए फारस से प्रख्यात आर्किटेक्चर को बुलाया गया था. इसकी संरचना एक मस्जिद और मदरसा के रूप में की गई है.
 
चार मीनार को तेलंगाना की शान समझा जाता हैं. इस कारण वंश राज्य सरकार ने अपने लोगों (स्वह) में चार मीनार को प्रमुखता के साथ जगह दी है, जिस से प्रतीत होता है कि तेलंगाना राज्य की कल्पना चारमीनार के बगैर अधूरा है.
 
पूरी दुनिया में चार मीनार प्रसिद्ध है. जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से पहुंचते हैं. कहते हैं कि आगरा कोई जाए और मोहब्बत की निशानी ताजमहल का दीदार न करे तो क्या फायदा. ठीक अगर कोई हैदराबाद आए और चार मीनार को नजदीक से नहीं देखा तो हैदराबाद में किया देखा ?.
 
चारमीनार भारत के दस ऐतिहासिक स्थलों में से एक है. चारमीनार के उत्तर में प्रमुख बड़ा सा दरवाजा बना हुआ है जहां से प्रवेश के द्वार है, जिसे चार कमान कहते हैं.
 
चार मीनार में हर दिशा में एक दरवाजा है, जो अलग अलग बाजारों में खुलता है. इसके प्रत्येक कोने में 56 मीटर (लगभग 184 फीट) उची मीनार है, जिसमें 2 बालकनी है.
 
प्रत्येक मीनार के उपरी हिस्से में, नुकीले पत्ती की तरह, एक बल्ब नुमा गुंबद की डिजाइन है, ऐसा लगता है मानो किसी ने मीनार को ताज पहना दिया है. इस की बनावट मुहब्बत की निशानी ताजमहल की तरह की गई है. यहां चढ़ने के दौरान 149 सीढ़ियां है जिसे पूरा करने मे कई मिनट लगते है.
 
इतिहास के पन्नों मंे दर्ज जानकारी के अनुसार चार मीनार को बनाने में ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है, ये दो मंजिली खूबसूरत इमारत है जो दूर से ही दिखाई देती है. इसके आसपास की सुंदरता को बढ़ाता है.
 
चार मीनार के बीच में पानी का छोटा सा तालाब जैसा हैं जिस पर फव्वारा लगा है, यहां आबादी बढ़ने से पहले लोग इसी तालाब में वजू करके नमाज पढ़ते थे. उस के अलावा चार मीनार की चार प्रमुख दिशाओं में 1889 में घड़ी लगाई गई थी जो आज भी हैं
 
चारमीनार को गोलकोंडा किले से जोड़ने के लिए, उसके अंदर बहुत सी भूमिगत सुरंग का भी निर्माण कराया गया था. संभवतः इसका निर्माण इसलिए हुआ होगा, ताकि कभी किले में दुश्मनों के द्वारा घेराबंदी होने पर कुतुब शाही शासक वहां से छिप कर भाग सकें. इन सुरंगों के स्थान आज भी अज्ञात है.
 
चार मीनार के पश्चिम में ऐतिहासिक मक्का मस्जिद है, जहां बड़ी संख्या में लोग नमाज अदा करते हैं. इसके आसपास का इलाका भी चार मीनार कहलाता है, जहां बाजार लगते हैं, सस्ती से सस्ती और महंगी से महंगी चीज खरीद सकते हैं.
 
इसके साथ ही यहां खाने पीने के भी बहुत से स्टाॅल है, जहां हैदराबादी कुलचे, नेहारी, बिरयानी बहुत मशहूर हैं. हैदराबाद उन शहरों में से है, जहां आधुनिकता एवं परंपरा का मिश्रण देखने को मिलता है. अतः आप जब भी हैदराबाद आएं तो ऐतिहासिक चार मीनार को जरूर दीदार करंे.