राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
कोरोना महामारी के कारण गणतंत्र दिवस के 26 जरवरी 2022 को आयोजित समारोह में कोई विदेशी मुख्यातिथि नहीं होगा. गणतंत्र दिवस पर क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय, व्लादिमीर पुतिन, बराक ओबामा, नेल्सन मंडेला, निकोलस सरकोजी, राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाही, किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल-सऊद, शेख मोहम्मद बिन जायद, जायर बोल्सोनारो, शिंजो आबे, फ्रांस्वा ओलांदी, किंग जिग्मे दोरजी वांगचुक, प्रिंस फिलिप, क्लिमेंट वोरोशिलोव, नोरोडोम सिहानौकी, मोहम्मद जहीर शाह, जूलियस न्येरेरे, शिवसागर रामगुलाम, सिरिमावो भंडारनायके और जोको विडोडो आदि विश्व की मशहूर हस्तियां मुख्य अतिथि बन चुकी हैं. किंतु भारत में सबसे पहले विदेशी मुख्य अतिथि बनने का गौरव 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो को प्राप्त हुआ था.
भारत ने राष्ट्रपति सुकर्णो को इस विशेष अवसर पर आमंत्रित करके दूरदर्शिता का परिचय दिया था. सुकर्णो ने ब्रिटिश उपनिवेश को नकार दिया था और डच उपनिवेशवादियों से संघर्ष कर रहे थे. भारत चाहता था कि इंडोनशिया की तरफ दुनिया का ध्यानाकर्षित हो.
इंडोनेशिया की मुद्रा पर भगवान श्री गणेश
दिसंबर 1949 में सुकर्णो ने डच उपनिवेशवादियों से इंडोनेशिया की पूर्ण संप्रभुता कर ली थी. उसके ठीक एक महीने बाद ही भारत ने 26 जनवरी 1950 के लिए उन्हें आमंत्रित किया और सुकर्णो 25 जनवरी 1950 को दिल्ली पहुंचे थे. हवाई अड्डे पर भारत सरकार ने उनका जोरदार स्वागत किया.
इंडोनेशिया में भगवान विष्णु की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा
भारत और इंडोनेशिया के बीच सहस्राब्दियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं. इंडोनेशिया में पहले सभी हिंदू हुआ करते थे. इस्लाम के प्रसार के बाद अब इंडोनेशिया में हिंदू महज 1.74 प्रतिशत हैं और मुस्लिमों की आबादी 86.7 प्रतिशत है. मुस्लिम बहुल होने के बावजूद वे हिंदू संस्कृति को जीते हैं. इंडोनिशयाई मुस्लिम हिंदू देवताओं भगवान श्री विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण, श्री दुर्गा, बाबा भोलेनाथ, श्री हनुमान आदि को अपना पूर्वज मानते हैं. वहां की मुद्रा पर भगवान गणेश अंकित हैं और वहां का राष्ट्रीय पक्षी भगवान विष्णु का वाहन गरुण है. इंडोनेशिया में बड़े पैमाने पर रामलीला होती है, जिसमें अधिकांश किरदार मुस्लिम निभाते हैं और अधिकांश दर्शक भी मुस्लिम होते हैं.
इंडोनेशिया में मुस्लिम कलाकार रामलीला का मंचन करते हुए
सुकर्णो का नाम भी महाभारत के चरित्र कर्ण के नाम पर रखा गया था. कर्ण बहुत पराक्रमी और निष्ठावान था, लेकिन वह दुष्ट दुर्योधन के दल में था. इसलिए कर्ण के नाम के आगे ‘सु’ यानि सुंदर उपसर्ग जोड़कर सुकर्ण यानि सुकर्णो शब्द गढ़ा गया.
भारत और इंडोनेशिया में जो बड़ी समानताएं हैं, वो ये कि दोनों ही राष्ट्र साम्राज्यवाद-विरोधी और धर्मनिरपेक्षता के समान मूल्यों को साझा किया करते हैं. सुकर्णो ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति पूर्ण समर्थन व्यक्त किया था. इसीलिए सुकर्णो को आमंत्रित किया गया.