ईमान सकीना
समस्या-समाधान ज्यादातर इंसानों के लिए जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. हममें से ज्यादातर लोग बिना किसी व्यावहारिक समस्या-समाधान रणनीति के जीवन की दैनिक कठिनाइयों से जूझते हैं. इस्लाम दैनिक जीवन जीने के लिए दिशा-निर्देश और एक तरीका प्रदान करता है. यदि आप इस जीवन शैली का पालन करते हैं, तो इसका आपके जीवन पर जो समग्र प्रभाव पड़ेगा, वह यह है कि यह आपको अपनी समस्याओं से निपटने में सक्षम होने के लिए मानसिकता और उपकरण प्रदान करेगा.
इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान, कालातीत ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करती है, जो व्यक्तियों को जीवन में विभिन्न समस्याओं से निपटने और उन पर काबू पाने में मदद कर सकती है. कुरान जीवन का संपूर्ण कोड है. अल्लाह ने पवित्र कुरान में हर तरह की समस्या का समाधान दिया है. यहां कुछ मूल्यवान कुरानिक प्रार्थनाएं और दुआएं दी गई हैं, जिन्हें पैगंबर मुहम्मद (पीबीयूएच) ने बुखार, बीमारी और अन्य समस्याओं की किसी भी स्थिति में पढ़ा था.
आज की तेज-रफ्तार दुनिया में तनाव और चिंता आम बात है. कुरान में कई आयतें दी गई हैं, जो सुकून और शांति प्रदान करती हैं -
अल्लाह की योजना में विश्वास: अल्लाह की योजना में विश्वास दिल को शांति प्रदान कर सकता है.
कुरान में कहा गया है, "और जो कोई अल्लाह पर भरोसा करता है - तो वह उसके लिए पर्याप्त है. निस्संदेह, अल्लाह अपना उद्देश्य पूरा करेगा.’’ (कुरान 65ः3). यह आयत विश्वासियों को अल्लाह की बुद्धि और समय पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करती है."
प्रार्थना और स्मरणः नियमित प्रार्थना (सलाह) में शामिल होना और अल्लाह को याद करना (जिक्र) तनाव को कम कर सकता है.
‘‘जो लोग ईमान लाते हैं और जिनके दिल अल्लाह के स्मरण से आश्वस्त हैं. निस्संदेह, अल्लाह के स्मरण से दिल आश्वस्त हैं.’’ (कुरान 13ः28).
वित्तीय संघर्ष चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन कुरान संसाधनों के प्रबंधन और विश्वास बनाए रखने के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करता है -
दान (जकात): दान देने से धन शुद्ध होता है और आशीर्वाद मिलता है.
‘‘जो लोग अल्लाह की राह में अपनी दौलत खर्च करते हैं, उनकी मिसाल एक बीज की तरह है जिसमें सात बालियां उगती हैं, हर बाली में सौ दाने होते हैं. और अल्लाह जिसके लिए चाहता है, उसे कई गुना अपना इनाम, देता है.’’ (कुरान 2ः261).
व्यक्तिगत कमियां और कमजोरियां आंतरिक उथल-पुथल का स्रोत हो सकती हैं. कुरान आत्म-सुधार और विकास के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है.
दूसरों के साथ संघर्ष परेशान करने वाला हो सकता है. कुरान सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए सिद्धांत प्रदान करता है.
धैर्य और क्षमाः धैर्य और क्षमा को बहुत महत्व दिया जाता है. ‘‘और बुरे काम का बदला उसके जैसा ही बुरा होता है, लेकिन जो कोई क्षमा करता है और सुलह करता है - उसका इनाम अल्लाह की ओर से उचित, है.’’ (कुरान 42ः40).
दुख और हानि जीवन का अपरिहार्य हिस्सा हैं. कुरान ऐसे समय में सांत्वना और आशा प्रदान करता है -
अल्लाह की इच्छा को स्वीकार करना: ईश्वरीय आदेश को स्वीकार करने से शांति मिलती है. ‘‘वास्तव में, हम अल्लाह के हैं, और वास्तव में हम उसी की ओर लौटेंगे.’’ (कुरान 2ः156).
आशा और दृढ़ताः कुरान आशा और दृढ़ता को प्रोत्साहित करता है. ‘‘तो धैर्य रखें. वास्तव में, अल्लाह का वादा सच्चा है.’’ (कुरान 30ः60).
दाग हटाने के लिए दुआएँ - ‘‘एक दोष रहित और उस पर कोई दाग नहीं.’’ सूरह-अल-बकराह-2ः71,
(इसे हर दिन भोर और ईशा की नमाज के बाद 101 बार दोहराएं)
‘‘वास्तव में, कुछ पत्थर ऐसे हैं, जिनसे नदियाँ फूटती हैं, और कुछ फट जाते हैं, पानी निकलता है, और कुछ अल्लाह के डर से गिर जाते हैं. और अल्लाह तुम्हारे कामों से अनजान नहीं है. सूरह-अल-बकराह-2ः74
(सुबह और ईशा की नमाज के बाद 21 बार यह दुआ पढ़कर पानी को फूँककर पिएं)
“और अगर अल्लाह तुम्हें मुसीबत से छूए तो उसके सिवा कोई उसे दूर नहीं कर सकता. और अगर वह तुम्हें भलाई से छूए, तो वह हर चीज पर काबिल है.” सूरह-अल-इनाम-6ः17,
(सुबह और अस्र की नमाज के बाद हर दिन 21 बार यह दुआ दोहराएं)
“जो लोग ईमान लाए और जिनके दिल अल्लाह के जिक्र से निश्चिंत हैं. बेशक, अल्लाह के जिक्र से दिल निश्चिंत हैं.” सूरह-अर-राद-13ः28
(हर नमाज के बाद हर रोज 21 बार इस दुआ को पढ़ें)
“और उसकी निशानियों में से यह भी है कि उसने तुम्हारे लिए तुम्हारे ही बीच से जोड़े बनाए, ताकि तुम उनके साथ सुकून पाओ और उसने तुम्हारे बीच स्नेह और दया रखी. बेशक, इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं जो सोच-समझकर काम करते हैं.” सूरह-अर-रूम-30ः21
(इसे हर रोज सुबह और इशा की नमाज के बाद 21 बार पढ़ें)
“और आसमानों और जमीन और उनके बीच जो कुछ भी है, सबका साम्राज्य अल्लाह का है. वह जो चाहता है, पैदा करता है और अल्लाह हर चीज पर सक्षम है.” सूरह-अल-माइदा-5ः17
(पति-पत्नी दोनों को हर नमाज के बाद इसे 21 बार दोहराना चाहिए)
अल्लाह ने कहा, “ऐ आग, इब्राहीम पर ठंडक और सुरक्षा प्रदान कर.” सूरा-अल-अंबिया-21ः69
(21 बार पढ़ने के बाद पानी पर फूंक मारें और उसे पिला दें.)